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भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाला नेता जिसे केवल नेहरू-गांधी परिवार के आलोचना के लिए याद किया जाता

locationप्रयागराजPublished: Sep 13, 2019 12:33:03 pm

जिन्हें न राष्ट्रीय फलक पर सम्मान मिला और न ही उनके हक को नाम

Firoj Gandhi untold story on relationship with indira gandhi family

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाला नेता जिसे केवल नेहरू-गांधी परिवार के आलोचना के लिए याद किया जाता

प्रयागराज। फिरोज गांधी जिन्हें न सम्मान मिला ना ही उनके हक का नाम मिला। कहां जाता है ,फिरोज गांधी आजादी के बाद उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने इंडियन इकोनॉमी का रियल आर्किटेक्ट तैयार कराया। फिरोज गांधी के हिस्से में कई उपलब्धियां है।लेकिन उनकी चर्चा बगावत करने वाले दामाद और सांसद के तौर पर ज्यादा की जाती है। फिरोज गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति ,राजीव और संजय के पिता और पंडित जवाहरलाल नेहरू के दामाद । नेहरू -गांधी परिवार आजाद भारत का वो शक्तिशाली परिवार रहा जिनके आस-पास रहने वाले लोगों को बेशुमार दौलत- शोहरत और इज्जत बख्शी गई। उनका नाम पहचान का मोहताज नहीं रहा। लेकिन इस परिवार से जुड़ा एक नाम ऐसा भी है। जिसे आज न परिवार याद करता है न ही पार्टी ।

पहली बार पंडित नेहरू पर लगे आरोप
फिरोज गांधी जिन्हें भारत की संसद में इसलिए याद किया जाता है की उन्होंने अपनी ही सत्ता के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उठाया । इस कदर आवाज बुलंद की कैबिनेट के चहेते सांसद को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। कुछ राजनीतिक जानकार उन्हें भारत कब पहला बेहतरीन खोजी सांसद भी कहते हैं।1958 में लोकसभा का सत्र के दौरान फिरोज गांधी में संसद में बोलना शुरू किया। पंडित नेहरू सदन में थे उनकी सरकार थी। फिरोज कांग्रेस से सांसद थे। फिरोज गाँधी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ आरोप लगाया कि भारतीय जीवन बीमा निगम यानी (एलआईसी) ने बाजार से कहीं ज्यादा कीमत पर करीब सवा करोड़ रुपए के शेयर खरीदे हैं जिनकी हालत बेहद पतली है।

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अपनी सरकार के खिलाफ उठाई आवाज

यह कंपनियां कोलकाता के कारोबारी हरिदास मंडूरा की थी। सत्ता पार्टी के ही सांसद की तरफ से हुए हमले पर तत्कालीन विपक्ष को बड़ा मुद्दा बैठे.बिठाए मिल गया। जिसके बाद तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णमाचारी ने पहले तो इससे सीधे इनकार किया लेकिन फिरोज गांधी अपनी बात पर अड़े रहे इनके आरोप सच साबित हुए और कृष्णामचारी को इस्तीफा देना पड़ा। यह पहला मौका था जब देश की संसद में पंडित नेहरू की साफ छवि को बड़ा दाग लगा था और यह संयोग ही था यह दाग उनके दामाद फिरोज गांधी ने ही लगाए थे।

इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी की मुलाकात काफी दिलचस्प किस्सा है।कहा जाता है कि 1930 में शहर में कांग्रेस का एक धरना था जिसमें कमला नेहरू और इंदिरा गांधी सहित कांग्रेस के कई महिला कार्यकर्ता शामिल हो रही थी। संयोग था की यह उसी कॉलेज के बाहर हो रहा था। जहां से फिरोज पढ़ाई कर रहे थे। उस आंदोलन में कमला नेहरू बेहोश हो गई, इस दौरान फिरोज ने उनकी मदद की आजादी के लिए लड़ने वालों लोगों का जज्बा देखकर फिरोज गांधी ने अपनी किताबें घर छोड़ दी ,और आजादी के आंदोलन में शामिल हो गए ।इसी दौरान फिरोज गांधी को जेल जाना पड़ा उन्होंने फैजाबाद में 19 महीने गुजारे इलाहाबाद के तत्कालीन जिला कमेटी के अध्यक्ष लाल बहादुर शास्त्री भी जेल में थे। जेल से छूटने के बाद फिरोज यूनाइटेड प्रोविंस (उत्तर प्रदेश) में किसानों के अधिकारों के लिए चल रहे आंदोलन में शामिल हुए। इसमें उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ करीब से काम किया इस दौरान दोनों एक साथ जेल में रहे।

पंडित नेहरू शादी के खिलाफ थे
1933 में फिरोज गांधी ने इंदिरा गांधी के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था। उस वक्त इंदिरा गांधी की उम्र 16 वर्ष थी। लंबे समय तक दोनों अच्छे मित्र रहे जिसके बाद 1942 में उन्होंने शादी कर ली। पंडित नेहरू शादी के खिलाफ थे और इंदिरा गांधी को समझाने की जिम्मेदारी महात्मा गांधी को दी गई। अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इंदिरा और फिरोज दोनों एक साथ नैनी सेंट्रल जेल में बंद रहे।आजादी के बाद 1952 में पहली बार आम चुनाव हुआ। जिसमें फिरोज गांधी रायबरेली से सांसद चुने गए और इस दौरान इंदिरा और फिरोज के बीच अनबन की खबरें चर्चा में आ गई थी ।फिरोज गांधी देशभर में एक लोकप्रिय सांसद की तरह उभर रहे थे। वहीं संसद में उन्हें प्रखर वक्ता और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले सांसद की तरह पहचाना जाने लगा था।

कई संस्थाओं का राष्ट्रीयकरण कराने का श्रेय
फिरोज गांधी ने अपनी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले की मजबूत सांसद की तरह उभरे । 1955 में फिरोज गांधी के ही मुखर आवाज उठाने के चलते उद्योगपति रामकिशन डालमिया के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ। यह भ्रष्टाचार एक जीवन बीमा कंपनी के जरिए किया गया था ।इसके चलते डालमिया को कई महीने जेल में रहना पड़ा। इसका नतीजा यह हुआ कि अगले ही साल 245 जीवन बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करके कंपनी बना दी गई। फिरोज गांधी को कई बड़ी संस्थाओं को राष्ट्रीयकरण कराने का भी श्रेय जाता है। फिरोज गांधी देश के सबसे वेन्यूएबल कंपनियों में से एक इंडियन आयल के पहले चेयरमैन भी थे। कॉरपोरेट भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले शुरुआती सांसदों में से एक उनका नाम रहा।

इलाहाबाद में हुआ पालन पोषण

फिरोज जहांगीर का जन्म 12 सितंबर 1912 को मुंबई में पारसी परिवार में हुआ था। मुंबई में जन्मे फिरोज के पिता जहांगीर फरदून भरूच से ताल्लुक रखते थे और मां सूरत से थी। फिरोज गांधी कब बचपन इलाहाबाद में बीता यहां पर उनकी मौसी रहती थी वह शहर के अस्पताल में नौकरी करती थी। फिरोज गांधी का निधन 8 सितंबर 1960 को दिल्ली में हुआ था।

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