याचिका में विश्वविद्यालय के छात्र शुभेन्दु मिश्रा व कई अन्य विधि छात्रों ने सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठाये हैं। छात्रों का कहना था कि विश्वविद्यालय परिसर में क्लासरूम में एक छात्र की हत्या कर दी जाती है विगत दिनों कुलपति के साथ भी दुव्र्यवहार किया गया। यही नहीं विश्वविद्यालय परिसर के अलावा छात्रावासों में भी छात्र अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। कहा गया कि अभिभावक अब विश्वविद्यालय में अपने बच्चों का दाखिला कराने में कतराने लगे हैं। यद्यपि कि न्यायालय याचिककर्ता छात्रों की उनके वकीलों के मार्फत दी गयी दलीलों से संतुष्ट नहीं थी।
कोर्ट का कहना थ कि यदि अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला नहीं कराना चाहते तो यह बताया जाए कि किन-किन क्लासों में कितनी सीटें खाली है। क्या दाखिला न होने से कोई सीट खाली है। इसका उत्तर अधिवक्ताओं द्वारा नहीं दिया जा सका। यही नहीं कोर्ट ने यह भी पूछा कि आपराधिक घटनाएं कहीं भी किसी के साथ हो सकती है, और यह हर जगह हो जाती हैै। ऐसे में प्रथम दृष्टया यह नहीं कहा जा सकता कि विश्वविद्यालय में छात्रों के बीच असुरक्षा एवं अराजकता का माहौल है। बहरहाल कोर्ट ने हाल में हुई कुछेक घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा के बिन्दु पर छात्रसंघ व विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ साथ प्रदेश सरकार के गृह विभाग से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
by Court Correspondence
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