इसे भी पढ़ें इलाहाबाद में बसपा नेता की हत्या, जमकर हुआ बवाल, कई राउंड चलीं गोलियां, बस फूंकी गयी छह सितम्बर 2017 के राज्य सरकार के मदरसों में राष्ट्रगान गाने के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। इस आदेश के खिलाफ मऊ के अलाउल मुस्तफा की ओर से याचिका दाखिल की गयी थी। अलाउल मुस्तुफा ने होइ कोर्ट में याचिका दायर कर ये मांग की थी की राष्ट्र गान मदरसों के लिए अनिवार्य न किया जाए।
इसे भी पढ़ें इलाहाबाद में बसपा नेता राजेश यादव की हत्या मामले में शक के घेरे में डॉक्टर मुकुल सिंह इस मामले पर याचिकाकर्ता के वकील शहीद अली सिद्दीकी ने कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के 24 अगस्त 2017 के नौ जजों के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें राइट टू प्राइवेसी का आर्डर था। इसमें कोई चीज गाना न गाना लोगों के खुद के अधिकार में कहा गया था। कोर्ट ने पूरी बहस सुनने के बाद ये टप्पणी करते हुए याचिका ख़ारिज कर दी की राष्ट्र गान और राष्ट्र ध्वज का सम्मान लोगों का कर्तव्य है। इसको किसी जाति और धर्म में बांटा नहीं जा सकता। याचिका कर्ता इस मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट जा सकते है।