scriptइलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, बेईमान नहीं ले सकता धोखे का लाभ | HC Said Fraud will not take benefit of his Forgery | Patrika News

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, बेईमान नहीं ले सकता धोखे का लाभ

locationप्रयागराजPublished: Apr 27, 2018 12:02:41 am

बेईमान को धोखे का लाभ लेने नहीं दिया जा सकता, हाईकोर्ट एक याचिका को यह कहते हुए कर दिया खारिज।

Court Order

कोट का आदेश

इलाहाबाद. हाईकोर्ट इलाहाबाद ने कहा है कि बेईमानी व धोखा देने वाले को इसका लाभ प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यदि दूकान का आवंटन धोखे से प्राप्त किया गया है तो कानून की निगाह में ऐसा आवंटन शून्य व रद्द होने योग्य है। धोखे से लिए गये आदेश को रद्द कराने की अर्जी मियाद अधिनियम से बाधित नहीं हो सकती। इसी के साथ कोर्ट ने धोखे से लिए गये दूकान के आवंटन आदेश को पुनरीक्षण कोर्ट द्वारा रद्द करने की वैधता की चुनौती याचिका खारिज कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी. केशरवानी ने बेलनगंज आगरा स्थित दूकान का आवंटन कराने वाले विशाल बंसल व अन्य की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि सत्य न्याय व्यवस्था का आधार है। सच व न्याय को परस्पर अलग नहीं किया जा सकता। पूरी न्याय व्यवस्था व न्यायाधीश सच की तलाश में दायित्व का निर्वाह करते हैं। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक सिस्टम में जज व वकील की बराबर भूमिका होती है।

कोर्ट ने कहा कि कोर्ट का दायित्व है कि वह न केवल न्याय कर वरन् न्याय होता हुआ प्रतीत हो। कोर्ट का दायित्व है कि निर्दोष लोगों की सुरक्षा करे एवं दोषियों के दंडित करे। कोर्ट ने कहा कि सत्य न्याय की आत्मा है। न्याय देना नौकरी के बजाय जीवन पद्धति है, यह धन प्राप्ति व शोहरत का साधन नहीं है। वादकारी से अपेक्षा की जाती है कि वह सच को सामने लाये ताकि न्याय व्यवस्था पर जन विश्वास कायम रह सके। न्याय व्यवस्था में धोखे का कोई स्थान नहीं है। न्याय के दरवाजे पर दुर्भावना से आने वाले को न्याय की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

मालूम हो कि सीताराम कायन बेलनगंज, आगरा स्थित सम्पत्ति 6/336 के स्वामी थे। उनकी मौत के बाद दीनदयाल कायन पुत्र ने 1999 में दूकान बेच दी। वित्तीय संकट के कारण दूकान सुरेन्द्र कुमार साहनी को किराये पर दी गयी। साहनी ने याची को अपना व्यवसाय करने की अनुमति दी। इसी दूकान का धोखे से याची ने आवंटन करा लिया। जिसे देरी से चुनौती दी गयी तो पुनरीक्षण न्यायालय ने धोखे से लिए आदेश को रद्द कर दिया। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी।
By Court Correspondence

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