इसे भी पढ़ें UP BOARD EXAM: 3 दिन में दूसरी बार फिजिक्स का पेपर आउट, पर इस बार का तरीका हैरान करने वाला है यह आदेश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर व न्यायमूर्ति अशोक कुमार की खण्डपीठ ने नोएडा के अर्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड के निदेशक विकास गुप्ता की याचिका पर पारित किया है। प्राथमिकी के मुताबिक निदेशक ने 41 लाख रुपया ऑफिस लेने के बाद भी न तो पैसा वापिस किया न ही उनहें व्यावसायिक ऑफिस दिया।
इसे भी पढ़ें परीक्षा के ठीक पहले पांच-पांच सौ रुपये में बिकने लगा हल किया हुआ फिजिक्स का पेपर, रद्द हो सकती है परीक्षा याची निदेशक के अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि शिकायतकर्ता को 450 वर्ग फीट की जगह दूसरे प्रोजेक्ट में व्यावसायिक ऑफिस देने के लिये बुलाया गया था पर निदेशक की शर्तों पर वह लेने को तैयार नहीं हुई और झूठा मुकदमा तैयार कर याची को फंसा दिया। बहस थी कि विवाद सिविल प्रकृति का है और शिकायतकर्ता इसके लिये कानूनन मुआवजा की हकदार थी। पर उसने इस प्राविधान का उपयोग न कर परेशान करने की नीयत से याची के विरुद्ध गलत मुकदमा दर्ज करा दिया। कोर्ट ने तथ्यों को देखने के बाद निदेशक की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और याचिका निस्तारित कर दिया।
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