यह आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह ने मेसर्स जय बाबा अमरनाथ इंडस्ट्रीज सहित सैकड़ों याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। मालूम हो कि एक्साइज विभाग द्वारा माल वाहनों की जब्ती आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में भारी संख्या में याचिकाएं आ रही हैं ।जिन्हें न्यायाधिकरण के समक्ष जाना चाहिए था।प्रदेश में न्यायाधिकरण का गठन न होने के कारण हाई कोर्ट पर मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है ।जिसको देखते हुए न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने सरकार व जी एस टी काउन्सिल को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था कि प्रदेश में अधिकरण का गठन क्यों नहीं किया जा रहा है।
केंद्र सरकार के अधिवक्ता कृष्ण जी शुक्ल ने कोर्ट को वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया कि केंद्र सरकार ने लखनऊ खंडपीठ के 31 मई 2019 को पारित आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने इस आदेश से प्रयागराज में अधिकरण स्थापित करने के राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को रद्द कर दिया है और कहा है कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव के तहत लखनऊ में अधिकरण का स्थापित किया जाए।हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति भारती सप्रू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लखनऊ बेंच के फैसले को कानून के विपरीत मानते हुए अपठनीय करार दिया है।
और प्रयागराज में हाईकोर्ट की प्रधान पीठ होने के नाते अधिकरण की स्थापना प्रयागराज में किये जाने का आदेश दिया है। लखनऊ पीठ के आदेश के चलते जी एस टी काउन्सिल नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है। और लखनऊ खंडपीठ के 31 मई 2019 को दिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही।कोर्ट ने जानना चाहा है कि अधिकरण के गठन के संबंध में केंद्र सरकार ने अभी तक क्या कदम उठाए हैं ।और दो बार समय दिये जाने के बावजूद हलफ़नामा न दाखिल करने पर नाराजगी व्यक्ता की है।याचिका की सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।
By Court Courespondence