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कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न में कमेटी गठन पर राज्य सरकार से हाइकोर्ट ने मांगा जबाब

locationप्रयागराजPublished: Sep 06, 2019 08:15:25 pm

 
वही एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा की यौन शोषण के मामले में कहा समझौते पर नही छोड़ा जा सकता

High court ask up government on women workplace violence issue

कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न में कमेटी गठन पर राज्य सरकार से हाइकोर्ट ने मांगा जबाब

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व अन्य विभागों से कार्यस्थल पर महिला कर्मियों की यौन उत्पीड़न की शिकायत कमेटी गठन करने के मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है।यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने अनुप्रिया सहित 13 विधि छात्राओं की जनहित याचिका पर मांगा है। याचिका कर्ताओं का कहना है ,कि विशाखा केस में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत सभी विभागों में कार्यस्थल पर महिला कर्मियों के यौन उत्पीड़न की शिकायत कमेटी गठित की जानी चाहिए।2013 में प्रदेश में कानून बन चुका है। लेकिन सभी जगह कमेटियों का गठन अभी तक नहीं किया जा सका है।इस मामले में कोर्ट ने 12 जुलाई को भी राज्य सरकार से जवाब मांगा था लेकिन कोई जवाब दाखिल नहीं हुआ तो कोर्ट ने दोबारा राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए मौका दिया है।
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वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में यौन अपराध को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि यौन अपराध समझौते से खत्म नहीं किया जा सकता कोर्ट ने कहा है कि यह एक अलग तरह का अपराध है जिसमें नारी की निजता व शुद्धता के अधिकार के विरुद्ध अपराध को समझौते के आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा है कि शादी की पहली रात दहेज की मांग पूरी ना होने पर पति के रिश्तेदार ने नवविवाहिता के साथ बर्बर तरीके से बलात्कार किया। ऐसे आरोपी के समझौते के आधार पर छोड़ने से सभ्य समाज पर विपरीत असर पड़ेगा जिसे रद्द नहीं किया जा सकता।प्यारी इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने मुजफ्फरनगर के निवासी कली मा उनके परिवार के चार अन्य लोगों की याचिका पर दिया है।साथ ही मामले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए समझौते के तहत चार्जशीट रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट ने कहा है कि आरोपियों का आचरण सभ्य समाज के मानकों के विपरीत है। यदि ऐसे समाज के विरुद्ध अपराधों में समझौते की अनुमति दी गई तो धनबल व बाहुबल वाले लोग आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर लोगों पर दबाव डालकर अपराध को समझौते से खत्म करा लेंगे। मामले के तथ्यों के अनुसार 6 मार्च 2019 को पीड़िता की शादी हुई शादी में सात लाख खर्च हुए ससुराल वालों ने 50 हजार रुपए नगद की मांग की। उसके बाद किसी तरह भी विदाई हुई पहली रात पति के रिश्तेदार दाऊद ने पीड़िता के साथ दुराचार किया फिर प्रतिनिधि रेप किया जिसके बाद नवविवाहिता बेहोश हो गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया मामले में सांस पर भी गला दबाकर मारने और ससुर पर दहेज उत्पीड़न का आरोप है पुलिस ने पीड़िता के बयान और उसके भाई द्वारा दर्ज कराई गई एफ आई आर के आधार पर चार्जशीट दाखिल की अदालत ने संज्ञान भी ले लिया है याची का कहना है कि उनके बीच समझौता हो चुका है पीड़िता व वह पति पत्नी की तरह रह रहे हैं। इसलिए सीजीएम कोर्ट में विचाराधीन मुकदमे को रद्द किया जाए।
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