अपील की सुनवाई अलग से 5मार्च को होगी। याचिका पर राज्य सरकार के अधिवक्ता राजीव सिंह ने पक्ष रखा। बहस के दौरान दोनो पक्षों की तरफ से अधिवक्ताओं द्वारा पेश किताबों में उपबंधों मे अंतर देख कोर्ट ने राजकीय मुद्रणालय प्रयागराज के निदेशक को तलब किया। उन्होंने बताया कि राजकीय प्रेस कानूनी किताबे प्रकाशित कर रहा है और विक्री की खिड़की खोली है। किताबों की छपाई नियमित होने के बारे में संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। जब कि सरकार से नियमित छिपायी किये जाने के निर्देश है। सरकारी किताबें उपलब्ध न होने के कारण अधिवक्ता प्राइवेट प्रकाशन से महंगी किताबें खरीद कर कोर्ट में पेश कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि सरकार ने कानूनी पुस्तकों की छपाई प्राइवेट कंपनियों को सौंप दी है। कोर्ट ने सरकार को सरकारी प्रेस से नियमित प्रकाशन करने का निर्देश दिया है और व्योरा पेश करने का निर्देश दिया है।