कोर्ट ने राज्य सरकार व जिला अधिकारी को यह भी आदेश दिया है 2001 के मास्टर प्लान के तहत पार्क व खुला मैदान के रूप में घोषित भूमि पर किसी प्रकार की भवन निर्माण की अनुमति न दें। यदि निर्माण हुआ है तो उसे हटाकर 6 माह में पार्क बहाल किया जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार सिंह बघेल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राजेंद्र प्रसाद अरोड़ा व दो अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका में 50 लाख 62 हजार 774 रूपये की टैक्स वसूली को चुनौती दी गई थी।
कोर्ट ने राज्य सरकार को याची के प्रत्यावेदन को निर्णीत करने का निर्देश दिया है। लाल बहादुर शास्त्री मार्ग इलाहाबाद नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड घोषित कर दिया गया था । जिसका बैनामा भी 11 दिसंबर 2009 को हो गया था। इस पर कंपाउंडिंग के लिए 2161086 रूपये और इंपैक्ट फीस के लिए 330 4148 रुपए की वसूली नोटिस जारी की थी जिसे चुनौती दी गई। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता रवि कांत व एस के गर्ग तथा पीडीए की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने बहस की।कोर्ट ने कहा इलाहाबाद शहर मे लागू मास्टर प्लान के तहत जोनल प्लान पर प्राधिकरण पुनर्विचार करे।
कोर्ट ने कहा है कि पूरे विश्व में सबसे अधिक प्रदूषित 10 शहरों में प्रयागराज भी शामिल है।और मास्टर प्लान के विपरीत रिहायशी एरिया में मनमाने तौर पर व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति दी जा रही है, जो जन स्वास्थ्य के लिए घातक है । लोगों को स्वस्थ वायु, स्वच्छ पर्यावरण एवं स्वस्थ व गरिमा पूर्ण जीवन के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा है कि नजूल भूमि पर बहुत से पार्क और खुले मैदानों को फ्री होल्ड कर वहां बिल्डिंग बनाई गई है। पार्किंग न होने से शहर की यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है । लोग वाहन सड़क पर बेतरतीब रख कर यातायात की समस्या खड़ी कर रहे हैं। प्राधिकरण ने अपनी आंखें बंद कर रखा है। कोर्ट ने कहा है कि धारा 8 व 9 के तहत नए सिरे से शहर का जोनल प्लान बनाया जाए और जब तक प्लान नहीं बन जाता ,तब तक नक्शा पास न किया जाए।
BY- Court Corrospondence