यह आदेश न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने दी है। अपर सत्र न्यायाधीश इटावा द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर न्यायमित्र राधेश्याम यादव ने बहस की। इनका कहना था कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 के बाध्यकारी उपबन्धों का पालन नहीं किया गया। इस धारा के तहत तलाशी मजिस्ट्रेट के सामने होनी चाहिए और स्वतंत्र गवाह होने चाहिए। इस केस में इस नियम का पालन नहीं किया गया। अपर सत्र न्यायालय ने पुलिस के ऐसे साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाई है जिन्हें कोर्ट में साबित नहीं किया गया। ऐसे दस्तावेज का साक्षिक मूल्य भी नहीं है। ऐसे में सुनाई गई सजा कानून के विपरीत होने के कारण रद्द की जाय। कोर्ट ने 10 अगस्त 1998 को सुनाई गई सजा रद्द कर दी है।
BY- Court Corrospondence