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कोर्ट के इस आदेश के चलते बिजनौर के स्थानीय प्रशासन ने मंदिर पर लगे लाउडस्पीकर को हटा दिया। सरकारी वकील ने जब कोर्ट को बताया कि पास में ही मस्जिद पर भी जोर से लाउडस्पीकर बजता है जिस पर कोर्ट ने नियमानुसार कार्रवाई कर उसे भी बंद कराने को कहा। यह भी पढ़ें
अनुदेशकों की नियुक्ति को लेकर आया फैसला, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया यह आदेश
यह आदेश चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले व जस्टिस एम.के.गुप्ता की खण्डपीठ ने शौकत अली की याचिका पर दिया है। याचिका में मंदिर पर लगे स्पीकर से हो रहे ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग की गयी थी। राज्य सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि मस्जिद में 5.48 बजे सुबह अजान व रविदास मंदिर में सुबह 6.24 बजे आरती होती है। स्पीकर लगाने की जिला प्रशासन से अनुमति नहीं ली गयी है। याचिका में कहा गया था कि प्रशासन ने नोटिस जारी कर धारा 133 द.प्र.सं. के तहत कार्रवाई कर रही है और मंदिर के अलावा आबिद मस्जिद सदर को भी नोटिस दी गयी है। नियमानुसार निर्धारित सीमा से अधिक उंची आवाज में स्पीकर नहीं बजाया जा सकता। राजेन्द्रा स्टील कंपनी की जांच कर रही सीबीआई से रिपोर्ट तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर नगर की मे.राजेन्द्रा स्टील कंपनी की सम्पत्तियों के घपले की जांच कर रही सीबीआई को समय देते हुए जनवरी 18 के पहले सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में दाखिल अन्य अर्जियों की भी सुनवाई कोर्ट उसी दिन करेगी। यह आदेश जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र ने मे. राजेन्द्रा स्टील कंपनी के मामले की सुनवाई करते हुए दिया है। कंपनी का समापन हो चुका है। कंपनी की सम्पत्तियों को बेचकर देनदारियों का भुगतान कोर्ट के जरिए किया जा रहा है। कंपनी के श्रमिकों ने भी भुगतान पाने की अर्जी दाखिल की है। श्रमिक की अर्जी पर आफिशियल लिक्वीडेटर ने रिपोर्ट दाखिल कर 75 श्रमिकों के भुगतान की अनुमति मांगी है। कोर्ट ने मुम्बई व लखनऊ की सम्पत्तियों की जांच पूरी करने का सीबीआई को दो हफ्ते का समय दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर नगर की मे.राजेन्द्रा स्टील कंपनी की सम्पत्तियों के घपले की जांच कर रही सीबीआई को समय देते हुए जनवरी 18 के पहले सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में दाखिल अन्य अर्जियों की भी सुनवाई कोर्ट उसी दिन करेगी। यह आदेश जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र ने मे. राजेन्द्रा स्टील कंपनी के मामले की सुनवाई करते हुए दिया है। कंपनी का समापन हो चुका है। कंपनी की सम्पत्तियों को बेचकर देनदारियों का भुगतान कोर्ट के जरिए किया जा रहा है। कंपनी के श्रमिकों ने भी भुगतान पाने की अर्जी दाखिल की है। श्रमिक की अर्जी पर आफिशियल लिक्वीडेटर ने रिपोर्ट दाखिल कर 75 श्रमिकों के भुगतान की अनुमति मांगी है। कोर्ट ने मुम्बई व लखनऊ की सम्पत्तियों की जांच पूरी करने का सीबीआई को दो हफ्ते का समय दिया है।