कोर्ट का कहना है कि मियाद पूरी होने के बाद भी क्वॉरंटीन सेंटर में लोगों को रखना संविधान के अनुच्छेद 221 के तहत मिली व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि संविधान के संरक्षक के रूप में गलत होने पर कोर्ट को ऐसे मामलों में दखल देने का अधिकार है। कोर्ट के उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं कि हर जिले में ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग के लिए 3 सदस्यीय कमिटी गठित की जाए। जो क्वॉरंटीन की मियाद पूरी कर चुके सभी लोगों को उनके घर भेजे जाने के इंतजामों की मॉनिटरिंग कर सके। तीन सदस्यीय मॉनिटरिंग कमेटी जिलों के क्वॉरंटीन सेंटर्स के इंतजामों को भी देखेगी और वहां बेहतर सुविधाओं को मुहैया कराएगी। कमिटी क्वॉरंटीन सेंटर्स में रह रहे लोगों की समस्याओं को सुनकर उन्हें दूर कराए जाने के भी उपाय भी देगी।
योगी सरकार ने बताया है कि अब उत्तर प्रदेश के किसी भी जिले के किसी भी क्वारंटीन सेन्टर में कोई जमाती नहीं है। साथ ही सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामे के साथ एक चार्ट जारी कर तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों का आंकड़ा भी जारी किया है। जिसमें यूपी सरकार ने बताया कि सूबे में जमात से जुड़े 3001 भारतीयों और 325 विदेशी नागरिकों को क्वॉरंटीन सेंटर्स में रखा गया था। इनमें से 21 भारतीयों और 279 विदेशियों को मुकदमा दर्ज होने की वजह से बाद में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। क्वॉरंटीन सेंटर्स में रखे गए बाकी 2979 भारतीयों और 46 विदेशी जमातियों को क्वॉरंटीन की मियाद पूरी होने के बाद छोड़ दिया गया था।