Nithari Kand: ब्रूटल मर्डर केस में CBI इन्वेस्टिगेशन से हाई कोर्ट नाराज? कहा- पब्लिक के आस्था के साथ धोखे जैसा
प्रयागराजPublished: Oct 17, 2023 03:14:41 pm
Nithari Kand: हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि आरोपी से पूछताछ दर्ज करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए थी जिसके कारण कंकाल, हड्डियां बरामद हुईं। पीठ ने कहा, जिस अनौपचारिक और सहज तरीके से गिरफ्तारी, बरामदगी और स्वीकारोक्ति के महत्वपूर्ण पहलुओं से निपटा गया, उनमे ज्यादातर निराशाजनक हैं।


Nithari kand Verdict: निठारी कांड की जांच को लेकर निराशा व्यक्त करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार (16 अक्टूबर) को आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया। अदालत ने पाया कि जांच में गड़बड़ी हुई और साक्ष्य संग्रह के बुनियादी नियमों का ‘बेशर्मी से उल्लंघन’ किया गया। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष की विफलता, जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा जन आस्था के साथ धोखे से कम नहीं है। पंढेर को उन दो मामलों में बरी कर दिया गया जिनमें उसे फांसी की सजा हुई थी, जबकि कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया गया जिनमें उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी।
सैयद आफताब हुसैन रिजवी और अश्वनी कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा, "इस मामले में साक्ष्य के आंकलन पर, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक आरोपी को मुकदमे में निष्पक्ष सुनवाई की दी गई गारंटी के मद्देनजर, हमने पाया कि अभियोग पक्ष आरोपी एसके और पंढेर का अपराध, परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित एक मामले के तय मानकों पर उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा।"
निठारी में 2006 में सामने आया था मामला
नोएडा के निठारी में एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के साथ दिसंबर 2006 में प्रकाश में आए इस सनसनीखेज मामले की जांच शुरुआत में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की गई जिसे बाद में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया। निठारी कांड की जिस तरह से जांच की गई उस पर कोर्ट ने निराशा व्यक्त की खासकर पीड़ित ‘ए’ के लापता होने की जांच के संबंध में। पीठ ने कहा, "अभियोग का यह मामला आरोपी एसके (सुरेंद्र कोली) की स्वीकारोक्ति पर आधारित है जो उसने 29 दिसंबर, 2006 को यूपी पुलिस के समक्ष की।"