किरायेदारों ने अपनी रोजीरोटी छीनने के आधार पर चुनौती दी थी, कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति बी.अमित स्थालेकर तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खण्डपीठ ने यंत्रलेश्वर गुप्ता व अन्य की याचिकाओं पर दिया हैं याचिकाओं में याचियों की बेदखली पर रोक लगाने की मांग की गयी थी। कार्मीचेल पुस्तकालय भवन में 26 दुकानें है जिन्हें बेदखल किया जा रहा है। इस भवन को राज्यपाल ने 15 फरवरी 19 को खरीद लिया है। मंदिर ट्रस्ट की तरफ से अधिवक्ता विनीत संकल्प ने बहस की।
कोर्ट ने कहा कि याचियों को सिविल वाद दायर करना चाहिए। राज्य सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव व अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने सरकार का पक्ष रखा। याची अधिवक्ता का कहना था कि किरायेदारों को बिना नोटिस दिये जबरन हटाया जा रहा है, उनका पुनर्वास किया जाए।
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