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लॉकडाउन से बंदी में वकीलों ,मुंशियों के आर्थिक स्थिति पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

locationप्रयागराजPublished: Apr 09, 2020 08:47:15 pm

बार काउन्सिल आफ इण्डियाए,यूपी बार काउन्सिल, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, अवध बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

High court takes cognizance of lawyers financial situation in lockdown

लॉकडाउन से बंदी में वकीलों ,मुंशियों के आर्थिक स्थिति पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

प्रयागराज 9 अप्रैल । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, अवध बार एसोसिएशन लखनऊ, एडवोकेट्स एसोसिएशन इलाहाबाद को नोटिस जारी कर पूछा है कि अधिवक्ताओं और उनके पंजीकृत मुंशीओं के कल्याण हेतु उन्होंने क्या योजनाएं शुरू की है । कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है कि एडवोकेट्स वेलफेयर फंड के तहत उन्होंने अधिवक्ता कल्याण के लिए क्या किया है । कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए लॉक डाउन से वकीलों और मुंशियों के सामने पैदा हुई आर्थिक कठिनाई पर स्वत संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने जनहित याचिका कायम की है।

कोर्ट ने इन सभी पक्षकारों को अपना पक्ष ईमेल के माध्यम से 15 अप्रैल तक कोर्ट में दाखिल करने को कहा है तथा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष 15 अप्रैल को रखने के लिए का निर्देश दिया है। कोर्ट का कहना है कि अदालत के पास बहुत से वकीलों के प्रत्यावेदन और ऑनलाइन मैसेज आ रहे हैं। लॉक डाउन के कारण अदालते बंद है और सिर्फ अति आवश्यक कार्य ही हो रहे हैं। ऐसे में वकीलों की आमदनी भी प्रभावित हुई है। मगर इस अदालत के पास ऐसा कोई फंड नहीं है जिससे वकीलों के कल्याण के लिए कोई योजना चलाई जा सके।
कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता कल्याण की योजनाएं चलाना बार काउंसिल ऑफ ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश का वैधानिक दायित्व है। दोनों के एक्ट में इस बात का प्रावधान है कि वह अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए योजनाएं चलाएंगे ।कोर्ट ने कहा कि उनको नहीं मालूम है कि अभी तक ऐसी कोई योजना शुरू की गई है या नहीं । इसके अलावा हर अदालत से संबद्ध बार एसोसिएशन हैए उनकी भी जिम्मेदारी है कि वह अपने सदस्यों का ऐसे कठिन समय पर ध्यान रखें । कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एडवोकेट वेलफेयर फंड स्थापित किया गया है जिसके पास अधिवक्ता कल्याण हेतु योजनाएं लागू करने की व्यापक शक्ति है। फंड के ट्रस्टियों की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी योजनाएं लाएं जिससे इस कठिन समय में अधिवक्ताओं और उनकी मुंशियों को राहत दी जा सके। अदालत का यह भी कहना था कि बहुत से ऐसे अधिवक्ता है जिनकी वकालत बहुत अच्छी है । वह बार काउंसिल काउंसिल और बार एसोसिएशन को आर्थिक रूप से मदद दे सकते हैं ।कोर्ट ने इन संगठनों से जानना चाहा है कि क्या उन्होंने जरूरतमंद वकीलों और मुंशीओं की मदद के लिए अभी तक कोई योजना शुरू की है अथवा नहीं। इसकी जानकारी ईमेल के जरिए जवाब दाखिल कर 15 अप्रैल तक देने को कहा है मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।

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