कोर्ट ने इन सभी पक्षकारों को अपना पक्ष ईमेल के माध्यम से 15 अप्रैल तक कोर्ट में दाखिल करने को कहा है तथा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष 15 अप्रैल को रखने के लिए का निर्देश दिया है। कोर्ट का कहना है कि अदालत के पास बहुत से वकीलों के प्रत्यावेदन और ऑनलाइन मैसेज आ रहे हैं। लॉक डाउन के कारण अदालते बंद है और सिर्फ अति आवश्यक कार्य ही हो रहे हैं। ऐसे में वकीलों की आमदनी भी प्रभावित हुई है। मगर इस अदालत के पास ऐसा कोई फंड नहीं है जिससे वकीलों के कल्याण के लिए कोई योजना चलाई जा सके।
कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता कल्याण की योजनाएं चलाना बार काउंसिल ऑफ ऑफ इंडिया और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश का वैधानिक दायित्व है। दोनों के एक्ट में इस बात का प्रावधान है कि वह अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए योजनाएं चलाएंगे ।कोर्ट ने कहा कि उनको नहीं मालूम है कि अभी तक ऐसी कोई योजना शुरू की गई है या नहीं । इसके अलावा हर अदालत से संबद्ध बार एसोसिएशन हैए उनकी भी जिम्मेदारी है कि वह अपने सदस्यों का ऐसे कठिन समय पर ध्यान रखें । कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एडवोकेट वेलफेयर फंड स्थापित किया गया है जिसके पास अधिवक्ता कल्याण हेतु योजनाएं लागू करने की व्यापक शक्ति है। फंड के ट्रस्टियों की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी योजनाएं लाएं जिससे इस कठिन समय में अधिवक्ताओं और उनकी मुंशियों को राहत दी जा सके। अदालत का यह भी कहना था कि बहुत से ऐसे अधिवक्ता है जिनकी वकालत बहुत अच्छी है । वह बार काउंसिल काउंसिल और बार एसोसिएशन को आर्थिक रूप से मदद दे सकते हैं ।कोर्ट ने इन संगठनों से जानना चाहा है कि क्या उन्होंने जरूरतमंद वकीलों और मुंशीओं की मदद के लिए अभी तक कोई योजना शुरू की है अथवा नहीं। इसकी जानकारी ईमेल के जरिए जवाब दाखिल कर 15 अप्रैल तक देने को कहा है मामले की सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।