मुख्य न्यायाधीश डी.बी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने पुलिस को शेल्टर होम के स्टाॅफ व पड़ोसियों व लड़कियों को लाने ले जाने वाली कारों के ड्राइवरों का पता लगाकर बयान दर्ज न करने पर विवेचना के तरीके पर सवाल उठाये। कोर्ट ने मीडिया में पीड़ितों की पहचान व नाम देने पर कड़ी नाराजगी प्रकट की और कहा कि यदि मीडिया लड़कियों का नाम उजागर करेगी तो कोर्ट अवमानना कार्यवाही करेगी।
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि शेल्टर होम संचालक तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भवन को सील किया गया है, प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। कोर्ट ने कहा कि ब्लैक लिस्टेड सेल्टर होम में लड़कियां भेजने वाले पुलिस के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की गयी। गोयल ने बताया कि 18 थानों की पुलिस ने लड़कियां भेजी है। संबंधित थाना प्रभारी का तबादला कर दिया गया है। कोर्ट ने जानना चाहा कि घटना के बाद क्या सरकार ने सभी शेल्टर होम में सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया है। क्यों न विधिक सेवा प्राधिकरण के जिले के जिले के सचिवों को निरीक्षण के लिए कहा जाय।
मनीष गोयल ने कहा कि होम की 48 लड़कियों में से एक को छोड़कर सभी की बरामदगी कर ली गयी है। कोर्ट ने कहा कि विवेचनाधिकारी द्वारा स्टाॅफ व पड़ोसियों के बयान तक नहीं लिये। यह जानने का प्रयास नहीं किया कि लड़कियां कहां किस वीआईपी के पास जाती थी। इस संबंध में क्या कदम उठाये गये हैं। कोर्ट ने पूछे जाने पर गोयल ने बताया कि वाराणसी की गुड़िया व नोएडा की उद्यान केयर नामक सरकारी मान्यता प्राप्त एनजीओ है। कोर्ट ने 10 बजे सुनवाई शुरू की और दो बजे पुनः सुनवाई की। बाद में एक इलाहाबाद की संस्था की सहायता मुद्दे पर चेम्बर में सुनवाई की। उन्होंने कोर्ट से 48 घंटे का समय मांगा और कहा सरकार गंभीर है और सख्त कार्यवाही करेगी।
BY- Court Corrospondence