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पति पर लगा पत्नी की नग्न तस्वीरें पोस्ट करने का आरोप, कोर्ट का एफआईआर रद्द करने से इंकार

locationप्रयागराजPublished: Dec 25, 2020 03:40:32 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

न्यायमूर्ति पंकज नकवी व विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने आरोपी की तरफ से दायर आपराधिक विविध रिट याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के ऊपर व्हाट्सएप पर शिकायतकर्ता की नग्न तस्वीरें डालने का आरोप लगाया गया है.

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते सप्ताह एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) को रद्द करने से इनकार कर दिया। आरोपी पर अपनी पत्नी की नग्न तस्वीरों को व्हाट्सएप पर पोस्ट करने का आरोप है। न्यायमूर्ति पंकज नकवी व विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने आरोपी की तरफ से दायर आपराधिक विविध रिट याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के ऊपर व्हाट्सएप पर शिकायतकर्ता की नग्न तस्वीरें डालने का आरोप लगाया गया है, जो आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत किए गए अपराध के संबंध में लगाए गए आरोप हैं। ऐसे में केवल इसलिए प्राथमिकी को रद्द नहीं किया जा सकता क्योंकि याचिकाकर्ता शिकायतकर्ता का पति है।
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याचिकाकर्ता ने पत्नी पर लगाया आरोप-

याचिकाकर्ता ने एक याचिका दायर कर आईपीसी की धारा 270, 313, 323, 376 डी, 34 और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। साथ ही कोर्ट से प्रतिवादी को निर्देश देने की मांग की थी कि वह जांच के दौरान याचिकाकर्ता को गिरफ्तार न करें। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी पत्नी ने झूठे और मनगढ़ंत आधारों पर मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई है। मेरी पत्नी मुझसे छह साल बड़ी है और यह उसकी दूसरी शादी थी। मुझसे वित्तीय लाभ लेने के उद्देश्य से मुझपर दबाव बनाने के लिए इन सभी पहलुओं की अनदेखी करते हुए उसने झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई है।
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कोर्ट ने कहा कि ‘एफआईआर को देखने के बाद प्रथम दृष्टया यह नहीं कहा जा सकता है कि कोई संज्ञेय अपराध नहीं किया गया है। इसलिए एफआईआर को रद्द करने या याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए कोई आधार मौजूद नहीं है।
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