इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश- उत्तर प्रदेश शैक्षिक सेवाओं की स्थापना न्यायालय की अनुमति के बाद ही करें
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad Highcourt) ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा न्यायाधिकरण (Uttar Pradesh Educational Services Tribunal) की स्थापना से पहले कोर्ट की अनुमति लेना अनिवार्य है।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
लखनऊ. इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad Highcourt) ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा न्यायाधिकरण (Uttar Pradesh Educational Services Tribunal) की स्थापना से पहले कोर्ट की अनुमति लेना अनिवार्य है। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (Bar Association) और अवध बार एसोसिएशन के बीच संघर्ष के बाद कोर्ट द्वारा दर्ज एक मामले में चीफ जस्टिस गोविंद माथुर (Govind Mathur) व सौरभ श्याम शमशेरी (Saurabh Shyam Shamsheri) की खंडपीठ ने कहा कि विधानमंडल (Legislature), 2021 के अधिनियम को लागू करने की प्रक्रिया को पूरा कर सकता है, लेकिन प्रस्तावित शैक्षिक न्यायाधिकरण की स्थापना इस न्यायालय की अनुमति लेने के बाद ही करेगा। सरकार से यह भी अनुरोध है कि प्रयागराज के साथ-साथ लखनऊ में हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाए ताकि उनकी मांगों के संबंध में विचार-विमर्श किया जा सके, जिसको लेकर संघर्ष चल रहा है।
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इस बीच, खंडपीठ ने लंबित मामलों की सुनवाई के लिए इलाहाबाद और लखनऊ खंड की प्रिसिपल सीट पर विशेष पीठों के गठन के आदेश दिए हैं। पिछले 20 वर्षों के रिकॉर्ड को देख डिवीजन बेंच ने पाया कि इलाहाबाद में, अनुदानित संस्थानों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के सिविल से संबंधित 1,88,632 मामलों आए थे, जिनमें से 33,290 लंबित हैं। इसी तरह लखनऊ में 55,913 मामलों आए जिनमें 15,003 मामले लंबित हैं।
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कोर्ट ने पाया कि उपलब्ध आँकड़ों को देखकर हमारा विचार है कि जो मामले लंबित हैं, उन्हें विशेष बेंच का गठन करके निपटाया जा सकता है। हालांकि, ऐसी बेंचों के सुचारू संचालन के लिए अधिवक्ताओं की भागीदारी बेहद जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि सहायता प्राप्त संस्थानों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से संबंधित सिविल मामलों के त्वरित निपटारे के लिए इलाहाबाद के साथ-साथ लखनऊ में उचित समर्पित बेंचों का गठन किया जाए।
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