ये भी पढ़ें- ‘तांडव’ मामले में Amazon India हेड की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से किया इनकार इस बीच, खंडपीठ ने लंबित मामलों की सुनवाई के लिए इलाहाबाद और लखनऊ खंड की प्रिसिपल सीट पर विशेष पीठों के गठन के आदेश दिए हैं। पिछले 20 वर्षों के रिकॉर्ड को देख डिवीजन बेंच ने पाया कि इलाहाबाद में, अनुदानित संस्थानों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के सिविल से संबंधित 1,88,632 मामलों आए थे, जिनमें से 33,290 लंबित हैं। इसी तरह लखनऊ में 55,913 मामलों आए जिनमें 15,003 मामले लंबित हैं।
ये भी पढ़ें- उन्नावः सुप्रीम कोर्ट ने लगाया मेडिकल कॉलेज पर पांच करोड़ रुपए का जु्र्माना कोर्ट ने पाया कि उपलब्ध आँकड़ों को देखकर हमारा विचार है कि जो मामले लंबित हैं, उन्हें विशेष बेंच का गठन करके निपटाया जा सकता है। हालांकि, ऐसी बेंचों के सुचारू संचालन के लिए अधिवक्ताओं की भागीदारी बेहद जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि सहायता प्राप्त संस्थानों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से संबंधित सिविल मामलों के त्वरित निपटारे के लिए इलाहाबाद के साथ-साथ लखनऊ में उचित समर्पित बेंचों का गठन किया जाए।