scriptजूनियर वकीलों के रवैये से हाईकोर्ट नाराज, कहा न्यायालय में व्यवहार को लेकर उन्हें प्रशिक्षित किया जाए | Highcourt orders to train junior lawyers for behaviour in court | Patrika News

जूनियर वकीलों के रवैये से हाईकोर्ट नाराज, कहा न्यायालय में व्यवहार को लेकर उन्हें प्रशिक्षित किया जाए

locationप्रयागराजPublished: Aug 19, 2021 07:26:45 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने जूनियर वकीलों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए आदेश दिया कि उन्हें न्यायालय के समक्ष व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया जाए।

Allahabad High court

Allahabad High court

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने जूनियर वकीलों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए आदेश दिया कि उन्हें न्यायालय के समक्ष व्यवहार के लिए प्रशिक्षित किया जाए। जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने एक वकील के आचरण को तिरस्कारपूर्ण माना, हालांकि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार एसोसिएशनों को जूनियर वकील को अनिवार्य रूप से प्रशिक्षित करने का आदेश देते हुए कहा कि उन्हें किस तरह की दलीलें देनी चाहिए और अदालत में उनका व्यवहार क्या होना चाहिए, इस पर विशेष ध्यान दिया जाए।
ये भी पढ़ें- इलाहाबाद हाईकोर्ट में समीक्षा अधिकारी व सहायक समीक्षा अधिकारी भर्ती के लिए आवेदन शुरू, जानें पदों की संख्या

दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष जमानत की सुनवाई में पता चला कि आरोपी और शिकायतकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता मिलीभगत में काम कर रहे थे। इसमें शिकायतकर्ता के वकील ने आरोपी के वकील के निर्देश पर जाली वकालतनामा दायर किया था और जमानत के लिए अनापत्ति दर्ज कराने के लिए आरोपी का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक वकील को नियुक्त किया था।
जस्टिस संजय कुमार सिंह ने इस पर कहा कि अनुभवी वकीलों की उक्त कार्रवाई बेहद निंदनीय है। यह पेशे और संस्था की पवित्रता पर हमला करती है। एक उपचारात्मक उपाय के रूप में, कोर्ट ने कहा कि वकालतनामा के साथ किसी भी पहचान प्रमाण (अधिमानतः आधार कार्ड) की एक स्व-सत्यापित प्रति भी दी जानी चाहिए, जिसमें व्यक्ति के मोबाइल नंबर का उल्लेख किया गया हो।
ये भी पढ़ें- घर में गोहत्या सिर्फ कानून-व्यवस्था का मुद्दा सार्वजनिक व्यवस्था का मुद्दा नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इनमें है प्रशिक्षण की कमी या हैं अहंकार से भरे हुए: कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि वकीलों द्वारा अपनाई जा रही इस प्रकार की प्रैक्टिस पर मैं ‘नाराजगी’ व्यक्त करता हूं। ऐसे वकीलों के पास या तो वरिष्ठों के एक उपयुक्त चैंबर में कानूनी प्रशिक्षण की कमी है या यह अहंकार से भरे हुए हैं, जो इस प्रकार केस पर बहस करने की अनुमति मांग रहे हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो