शिकायतकर्ता सचिन सैनी की ओर से आईपीसी की धारा 452, 323, 504, 506 के तहत दर्ज मामले से संबंधित अग्रिम जमानत याचिका पर न्यायालय सुनवाई कर रही थी। आवेदक का कहना है कि उस पर लगाए आरोप बिल्कुल गलत हैं। इस मामले पर कोर्ट ने कहा कि भारत में गिरफ्तारियां पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के मुख्य स्रोतों में से एक है। लगभग 60 प्रतिशत गिरफ्तारियां या तो अनावश्यक या अनुचित होती हैं। अतार्किक और अंधाधुंध गिरफ्तारी मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन भी है।
कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक बहुत कीमती व मौलिक अधिकार है और इस पर तभी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जब यह अनिवार्य हो जाए। तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार ही किसी मामले में एक अभियुक्त की गिरफ्तारी की जानी चाहिए। यह कहते हुए अदालत ने तत्काल आवेदक को अग्रिम जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए।