scriptपुलिस के लिए गिरफ्तारी आखिरी विकल्प होना चाहिए: हाईकोर्ट | Highcourt says arrest should be police last option | Patrika News

पुलिस के लिए गिरफ्तारी आखिरी विकल्प होना चाहिए: हाईकोर्ट

locationप्रयागराजPublished: Jan 09, 2021 06:35:33 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

तर्कहीन और अंधाधुंध गिरफ्तारियां मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं- कोर्ट

Allahabad Highcourt

Allahabad Highcourt

पत्रिका न्यूज नेटवर्क.
प्रयागराज. एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तर्कहीन और अंधाधुंध गिरफ्तारियां मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं, पुलिस के लिए गिरफ्तारी आखिरी विकल्प होना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद, पुलिस कभी भी आरोपी को गिरफ़्तारी कर लेती है। पुलिस द्वारा अभियुक्तों (जिनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है) की गिरफ़्तारी के लिए कोई निश्चित अवधि निर्धारित नहीं होती है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की पीठ ने आगे कहा कि गिरफ्तारी, पुलिस के लिए अंतिम विकल्प होना चाहिए। पुलिस को ऐसे असाधारण मामलों में गिरफ्तारी करनी चाहिए जहां गिरफ्तार करना अनिवार्य हो व हिरासत में लेकर अभियुक्त से पूछताछ आवश्यक हो।
शिकायतकर्ता सचिन सैनी की ओर से आईपीसी की धारा 452, 323, 504, 506 के तहत दर्ज मामले से संबंधित अग्रिम जमानत याचिका पर न्यायालय सुनवाई कर रही थी। आवेदक का कहना है कि उस पर लगाए आरोप बिल्कुल गलत हैं। इस मामले पर कोर्ट ने कहा कि भारत में गिरफ्तारियां पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के मुख्य स्रोतों में से एक है। लगभग 60 प्रतिशत गिरफ्तारियां या तो अनावश्यक या अनुचित होती हैं। अतार्किक और अंधाधुंध गिरफ्तारी मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन भी है।
कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक बहुत कीमती व मौलिक अधिकार है और इस पर तभी प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जब यह अनिवार्य हो जाए। तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार ही किसी मामले में एक अभियुक्त की गिरफ्तारी की जानी चाहिए। यह कहते हुए अदालत ने तत्काल आवेदक को अग्रिम जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए।

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