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इफ्तेखार की मुश्किल बढ़ी, CM योगी पर आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट मामले में हाईकोर्ट ने उठाया बड़ा कदम

locationप्रयागराजPublished: Mar 11, 2019 06:50:56 pm

कोर्ट ने कहा है कि प्रथम दृष्टया फेसबुक पोस्ट धार्मिक भावना भड़काने वाली लगती है, जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।

Yogi adityanath

योगी आदित्यनाथ

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने वाले भारपार रानी देवरिया के निवासी इफ्तेखार अहमद के विरुद्ध एफआईआर को रद्द करने से इंकार कर दिया है और हस्तक्षेप से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि प्रथम दृष्टया फेसबुक पोस्ट धार्मिक भावना भड़काने वाली लगती है, जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। पोस्ट याची नाबालिग ने की है, यह विवेचना के साक्ष्यों का विषय है, जिस पर मुकदमे के विचारण के समय विचार किया जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खण्डपीठ ने इफ्तेखार अहमद की याचिका पर दिया है।
याचिका का प्रतिवाद राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता विनोदकांत व एजीए नीरज कांत ने किया। याचिका में भाटपार रानी थाने में 5 फरवरी 19 को दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गयी थी। याची का कहना था कि आपत्तिजनक पोस्ट उसने नहीं की है, उसके फोन पर आयी पोस्ट को अनजाने में उसके नाबालिग बेटे ने फारवर्ड कर दिया है। इसमें कोई दुर्भावना नहीं हैं वैसे भी पोस्ट किसी धर्म, जाति या समुदाय के विरुद्ध नहीं है। इसलिए कोई अपराध नहीं बनता।
याची के फेसबुक पोस्ट में…..(लिखा नहीं जा सकता) दिखाया गया है और ऊपर लिखा है कि ‘वाणी संतुलन के लिए होम्योपैथिक दवा’ जिस पर यह एफआईआर दर्ज की गयी है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया है कि मुख्यमंत्री धर्मगुरू है और पहनावा भी मंदिर के पुजारी का है। यह पहनावा हिन्दू धर्म के संतों द्वारा पहना जाता है। इस पोस्ट से धार्मिक भावना को भड़काने की कोशिश की गय है जिसे भारी संख्या में लोगों ने देखा होगा। यह नहीं कह सकते कि कोई अपराध नहीं बनता। नाबालिग द्वारा पोस्ट फारवर्ड करने के तथ्यात्मक बिन्दु पर हाईकोर्ट विचार नहीं कर सकती। यह विवेचना में आने वाले साक्ष्यों पर निर्भर है। जिस पर ट्रायल के समय विचार किया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने दर्ज प्राथमिकी पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
By Court Correspondence

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