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पहली बार इलाहाबाद शहर में सामने आया था पाकिस्तान नाम…

locationप्रयागराजPublished: Aug 14, 2018 02:38:21 pm

आज़ादी की ख़ुशी के साथ अपने और अपनों से अलग होने का दर्द भी मिला

15 august special

independence day

इलाहाबाद :आजादी के 72 वें स्वतंत्रता दिवस को मनाने के लिए पूरा देश त्योहार की तरह सजाया गया है ।हिंदुस्तान के इतिहास में यह गौरवशाली दिन हर धर्म जाति और संप्रदाय के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं ।ब्रिटिश हुकूमत की गुलामी से मुक्त भारत के लिए 15 अगस्त का दिन बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ ही 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी के साथ अपने और अपनों के अलग होने का दर्द भी लोगों के जेहन में और इतिहास के पन्नों में आज भी जिंदा है।

इस शहर के जेहन में आज भी है दर्द
जंगे आजादी की लड़ाई के कई किस्से इस शहर के नाम से इतिहास के पन्नों में दर्ज है।इलाहाबाद शहर जो गंगा जमुनी तहजीब और भाई चारे की मिसाल है। जहां मौलाना अबुल कलाम आजाद ,महात्मा गांधी ,सरदार वल्लभ भाई पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे दिग्गजों ने अंग्रेजो के खिलाफ रणनीति बनाकर देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया उसी शहर के जिश्म पर दर्ज है एक एसा इतिहास जिसे बहुत कम लोग जानते हैं।

आजादी से पहले शुरू हो गयी कांग्रेस और मुस्लिम लीग की लड़ाई
देश में आजादी से पहले ही पुरे मुल्क में ब्रिटिश हुकूमत के आलावा कांग्रेस और मुस्लिम लीग दो अलग.अलग फ्रंट लगे बन गये थे।एक तरफ जहां पंडित जवाहर लाल नेहरू का कहना था। कि देश में ब्रिटिश हुकूमत और कांग्रेस है तो वहीं मुस्लिम लीग के समर्थक इसे मानने से इंकार कर रहे थे। लगातार कांग्रेस और मुश्लिम लीग के बीच बढ़ रहे तनाव को देखते हुए मुश्लिम नेताओं ने बटवारे की मांग तेज़ कर थी।वरिष्ठ मुस्लिम चिन्तक नासिर फाकारी साहब के अनुसार उस समय परिस्थियाँ इस कदर बदल गई की सब कुछ बिखर गया ।

जब बताया गया की हम अलग है
उन्होंने बताया की चौधरी रहमत अली खान ,अल्लामा इकबाल सरीखे उस वख्त के बड़े चेहरों ने पूरी जमात को यह समझाया की हम एक साथ नही रह सकते।उन्होंने बताया की बड़ी बड़ी मजलिसो में कहा गया की हम हमारी तहजीब, हमारा इतिहास, हमारे मजहब, हमारे तौर तरीके, सब अलग है । उस वख्त के मजलिसो में लोगो की लाखो की भीड़ आया करती थी । जहाँ बताया गया की हमारी आर्थिक व्यवस्था,सामजिक ताना बाना हमारे रश्मे रिवाज कभी एक दुसरे से मेल नही खाते । हमारी सरियत की बुनियाद अलग है। हम यहाँ के बहुसंख्यक समाज से बिलकुल अलग है । हमे अपने तौर तरीको से रहने के लिए अलग राज्य मुल्क चाहिए ।

मुस्लिम लीग के अधिवेशन में आया था पाकिस्तान का नाम
इतिहास के पन्नों में दर्ज एक एक शब्द गवाह है की इलाहाबाद शहर में 1930 में हुए मुस्लिम लीग के अधिवेशन में अल्लामा इकबाल ने अध्यक्षीय भाषण में पहली बार दुनिया के सामने पाकिस्तान का नाम सुझाया था।इस मुस्लिम लीग की बैठक में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे थे ।जिसमें मुस्लिम जमात का मन जानने के लिए अपने अध्यक्षीय भाषण में अल्लामा इकबाल ने मुस्लिम राज्य की मांग की थी।अल्लामा इकबाल ने इलाहाबाद शहर की ही मुस्लिम लीग की बैठक में यह भी कहा था कि मुल्क का कोई भी मुसलमान यह कभी नहीं चाहेगा ,कि उसकी राष्ट्रीय पहचान की वजह से उसका धर्म इस्लामिक पहचान उसे छोड़नी पड़े ।उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं।कि पंजाब उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत सेंड कश्मीर और बलूचिस्तान का एक सेल्फ रूल स्टेट में बना दिया जाए।

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