ऑपरेशन गगन शक्ति का अभ्यास
गौरतलब है कि, इन दिनों भारतीय वायु सेना अभ्यास कर रही है। जिसे ऑपरेशन गगन शक्ति का नाम दिया गया है। जिसके तहत पडिला हवाई पट्टी पर मानवीय सहायता और आपदा राहत एचडीआर अभ्यास किया गया। इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना ने सी- 130 जे एयर क्राफ्ट को पडिला हवाई पट्टी पर उतारा। एयरफ़ोर्स जनसम्पर्क अधिकारी के मुताबिक़ सी- 130 जे क्राफ्ट सुबह दिल्ली से टेक ऑफ किया और फाफामऊ के पडिला हवाई पट्टी पर लैंडिंग की गई। इस एयरक्राफ्ट में 40 वायु सेना के सैनिक मौजूद थे, साथ ही बमरौली एयरबेस से भारतीय वायु सेना के अधिकारी भी वहां रहे। गगन शक्ति अभ्यास के दौरान वायु सैनिकों ने किसी भी आपदा के समय यहां से कैसे तत्काल बाहर निकाला जा सकता है। घायलों को इलाज के लिये कैसे यहां से जल्द से जल्द निकाला जा सकता है। इसका अभ्यास किया गया। इस दौरान रिहर्सल हुई जिसमें 40 घायलों को ले जाने की प्रकिया को दर्शाया गया ।
गौरतलब है कि, इन दिनों भारतीय वायु सेना अभ्यास कर रही है। जिसे ऑपरेशन गगन शक्ति का नाम दिया गया है। जिसके तहत पडिला हवाई पट्टी पर मानवीय सहायता और आपदा राहत एचडीआर अभ्यास किया गया। इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना ने सी- 130 जे एयर क्राफ्ट को पडिला हवाई पट्टी पर उतारा। एयरफ़ोर्स जनसम्पर्क अधिकारी के मुताबिक़ सी- 130 जे क्राफ्ट सुबह दिल्ली से टेक ऑफ किया और फाफामऊ के पडिला हवाई पट्टी पर लैंडिंग की गई। इस एयरक्राफ्ट में 40 वायु सेना के सैनिक मौजूद थे, साथ ही बमरौली एयरबेस से भारतीय वायु सेना के अधिकारी भी वहां रहे। गगन शक्ति अभ्यास के दौरान वायु सैनिकों ने किसी भी आपदा के समय यहां से कैसे तत्काल बाहर निकाला जा सकता है। घायलों को इलाज के लिये कैसे यहां से जल्द से जल्द निकाला जा सकता है। इसका अभ्यास किया गया। इस दौरान रिहर्सल हुई जिसमें 40 घायलों को ले जाने की प्रकिया को दर्शाया गया ।
वायु सेना का सी- 130 जे एयर क्राफ्ट
बता दें कि, अमेरिका भी सी- 130 जे एयर क्राफ्ट इस्तेमाल करता है। भारतीय वायु सेना के बड़े में इसे पांच साल पहले शामिल किया गया था। भारतीय वायुसेना आपदा प्रबंधन के दौरान इसका उपयोग करती है। इस एयरक्राफ्ट की क्षमता है 24 टन हैं। वायु सेना के पीआरओ अरविन्द सिन्हा ने पत्रिका को बाताया कि, आजादी से पहले जब यह हवाई पट्टी बनाई जा रही थी, तो इसे भविष्य को देखते हुए बनाया गया था। बताया कि, उस समय यहां पर क्रॉस रनवे बनाया गया था। जो आज के परिपेक्ष में बेहद आवश्यकता है। 50 सालों बाद वायु सेना ने लैंडिग करके बड़ी उपलब्धी हासिल की है।
बता दें कि, अमेरिका भी सी- 130 जे एयर क्राफ्ट इस्तेमाल करता है। भारतीय वायु सेना के बड़े में इसे पांच साल पहले शामिल किया गया था। भारतीय वायुसेना आपदा प्रबंधन के दौरान इसका उपयोग करती है। इस एयरक्राफ्ट की क्षमता है 24 टन हैं। वायु सेना के पीआरओ अरविन्द सिन्हा ने पत्रिका को बाताया कि, आजादी से पहले जब यह हवाई पट्टी बनाई जा रही थी, तो इसे भविष्य को देखते हुए बनाया गया था। बताया कि, उस समय यहां पर क्रॉस रनवे बनाया गया था। जो आज के परिपेक्ष में बेहद आवश्यकता है। 50 सालों बाद वायु सेना ने लैंडिग करके बड़ी उपलब्धी हासिल की है।
वायु सेना की आपत्ति पर नहीं बन सका सिविल एयरपोर्ट
बता दें केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद जब में सिविल एयरपोर्ट की मांग उठी और इसको विकसित करने मंत्रालय तक पहुंची। सिविल एयरपोर्ट के तौर पर डेवलपमेंट को लेकर कुछ बिंदुओं पर वायु सेना द्वारा आपत्ति की जिसके बाद सब फिर से बंद हो गया। ऐसे में यूपी सरकार द्वारा इलाहाबाद को कई अन्य शहरों से जोड़ने के लिये जो प्रयास चल रहे है। उनमे एक नई उम्मीद जगी है कि, इस हवाई पट्टी का प्रयोग किया जा सकता है। कुम्भ जैसे बड़े आयोजन से पहले इसे सवारना बड़ी उपलब्धी होगी । पडिला हवाई पट्टी 1350 भूमि पर विकसित है। बीते साल तत्कालीन कमिश्नर राजन शुक्ला ने मुहीम चला कर ग्रामीणों के कब्जे से हवाई पट्टी की जमीन खाली करा कर दीवार बनवाई थी।
बता दें केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद जब में सिविल एयरपोर्ट की मांग उठी और इसको विकसित करने मंत्रालय तक पहुंची। सिविल एयरपोर्ट के तौर पर डेवलपमेंट को लेकर कुछ बिंदुओं पर वायु सेना द्वारा आपत्ति की जिसके बाद सब फिर से बंद हो गया। ऐसे में यूपी सरकार द्वारा इलाहाबाद को कई अन्य शहरों से जोड़ने के लिये जो प्रयास चल रहे है। उनमे एक नई उम्मीद जगी है कि, इस हवाई पट्टी का प्रयोग किया जा सकता है। कुम्भ जैसे बड़े आयोजन से पहले इसे सवारना बड़ी उपलब्धी होगी । पडिला हवाई पट्टी 1350 भूमि पर विकसित है। बीते साल तत्कालीन कमिश्नर राजन शुक्ला ने मुहीम चला कर ग्रामीणों के कब्जे से हवाई पट्टी की जमीन खाली करा कर दीवार बनवाई थी।
By प्रसून पांडेय