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बसपा से निकाले गए दिग्गज नेता इन्द्रजीत सरोज, प्रेस वार्ता कर मायावती को बताया दौलत की भूूखी

locationप्रयागराजPublished: Aug 02, 2017 07:47:00 pm

बसपा के कद्दावर नेता इन्द्रजी सरोज की बसपा से छुट्टी, मायावती पर लगाए गंभीर आरोप।

Indrajeet Saroj,

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इलाहाबाद. बहुजन समाज पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। बसपा में तीसरे नंबर की हैसियत रखने वाले इन्द्रजीत सरोज को भी पार्टी से निकाल दिया गया है। इन्द्रजीत सरोज ने बसपा से निकाले जाने के मायावती पर जमकर भड़ास निकाली है। उन्होंने मायावती को दौलत का भूखा बताते हुए उन पर कई इल्जाम लगाए हैं। दावा किया है कि पैसों की वसूली न कर पाने का हवाला देकर खुद मायावती ने फोन पर निकाले जाने की जानकारी दी।


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निकाले जाने के बाद लगाए आरोप
इन्द्रजीत सरोज ने बसपा से निकाले जाने के बाद तकरीबन वही आरोप लगाए हैं जो स्वामी प्रसाद मौर्य समेत सारे नेताओं ने लगाए। उनका आरोप है कि मायावती ने 15 लाख रुपये उनसे मांगे। दवा किया है कि इसी का विरोध करने पर उन्हें पार्टी से निकाला गया। पैसों को लेकर और भी कई दावे किये। सरोज का दावा है कि मायावती ने उनको खुद फोन पर निकाले जाने की जानकारी दी और इसके पीछे पैसा वसूली न कर पाने को वजह बताया। आरोप लगाया है कि चुनाव हारने के बाद हम लोगों से पैसे मांगे गए थे। बता दें कि इन्द्रजीत सरोज को स्वामी प्रसाद मौर्य इसके अलावा उन्होंने जमकर मायावती पर आरोप लगाए हैं। सरोज ने मायावती का मानसिक संतुलन तक खराब बताते हुए उन्हें इलाज कराने की सलाह दे डाली।


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पहले मायावती के थे बेहद करीब
इन्द्रजीत सरोज का कद बसपा में काफी बड़ा था। वह मायावती के बेहद करीबी माने जाते थे। कई बार तो उन्हें बसपा में तीसरे नंबर का नेता तक कह दिया गया। उन्हें बसपा सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव जैसी जिम्मेदारी दी गयी। बताया जाता है कि इलाहाबाद के क्षेत्रों ओर कौशाम्बी में उनकी मजबूत पकड़ है। इन्द्रजीत सरोज का जन्म 14 जनवरी 1963 को कौशांबी जिले के नगरोहा गांव में हुआ था। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से की। उनको एक पुत्र व तीन पुत्रियां हैं।


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इन्द्रजीत सरोज की पॉलिटिकल प्रोफाइल
– 1996 में पहली बार कौशाम्बी के मंझनपुर से बने विधायक
– 1997 से 1998 के दरम्यान एससीध्एसटीध्विमुक्त जाति समितियों में सदस्य रहे।
– याचिका समिति में भी सदस्य रहे।
– 2001 में वह बसपा के विधानमण्डल दल के सचेतक बने।
– 2002 फिर विधायक बने और 2003 के अगस्त महीने तक मायावती सरकार में मंत्री (समाज कल्याण मंत्री, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री और बाल विकास पुष्टाहार मंत्री) रहे।
– यूपी अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम व विकास निगम के अध्यक्ष
– यूपी समाज कल्याण निर्माण निगम के अध्यक्ष रहे।
– 2007 में मंझनपुर से तीसरी बाद विधायक बने।
– 2007 की मायावती सरकार में मंत्री रहे। कृषि विपणन विभाग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभागए समाज कल्याण विभाग, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग जैसे मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली।
– नियम समिति, विशेषाधिकार समिति व कार्य मंत्रणा समिति के सदस्य रहे।
– 2012 में चैथी बार मंझनपुर से विधानसभा चुनाव जीते।
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