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किन्नर महामंडलेश्वर बोले हम ‘उपदेवता’, हमें किसी से मान्यता नहीं चाहिए

locationप्रयागराजPublished: Oct 28, 2018 06:00:35 pm

प्रयागराज महाकुंभ को लेकर किन्नर अखाड़ा ने की जिलाधिकारी से मुलाकात
 

kinnar akhada

किन्नर महामंडलेश्वर बोले हम ‘उपदेवता’, हमें किसी से मान्यता नहीं चाहिए

प्रयागराज। महाकुंभ 2019 में अखाड़े के रूप में मान्यता पाने की अपनी मांग पर किन्नर अखाड़ा के संत अड़े हुए हैं। किन्नर अखाड़ा जहां 14वें अखाड़े के रूप में मान्यता चाहता है वहीं, अखाड़ा परिषद नए अखाड़े को मान्यता देने का विरोध कर रहा है। ऐसे में जिला और मेला प्रशासन के सामने धर्मसंकट की स्थिति पैदा हो गई है। किन्नर अखाड़ा पहले ही अपनी मांग न माने पर चेतावनी दे चुका है।
किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने प्रयागराज महाकुंभ के मेला अधिकारी से मुलाकात के दौरान अपनी मांग रखी। त्रिपाठी ने कहा, हमारे अखाड़े को अलग से किसी मान्यता की जरूरत नहीं है। सनातन परंपरा में हम उपदेवता के रूप में मान्य हैं। त्रिपाठी ने कहा कि अगर ऐसा न होता है उज्जैन के महाकुंभ में हमें अखाड़े की सुविधाएं न मिलती और न ही वहां हम शाही स्नान कर पाते। त्रिपाठी ने कहा उज्जैन में हमने पेशावाई की, शाही स्नान किया और शासन और प्रशासन की ओर से हमें हर वह सुविधा दी गई जो बाकी 13 अखाड़ों को दी जाती है।
मेलाधिकारी से मुलाकात के बाद त्रिपाठी ने कहा हमने अपनी मांग से उन्हें अवगत करा दिया है। जो लोग हमें सुविधाएं देने का विरोध कर रहे हैं उन्हें सनातन धर्म और संविधान दोनों की जानकारी नहीं है। धर्म और संविधान दोनों हमें मान्यता देता है। गौरतलब है कि किन्नर अखाड़े को मध्यप्रदेश के उज्जैन में अखाड़े के रूप में सारी मान्यता और सुविधाएं मिली थीं।
अखाड़ा निकालेगा पेशवाई, शाही स्नान भी

किन्नर अखाड़े का कहना है कि वह 2019 कुंभ में भी पेशवाई निकालेगा, दैनिक पूजा—अर्चना के अलावा रोज प्रवचन होगा। वह सभी संस्कार पूरे किए जाएंगे जो बाकी के 13 अखाड़े करते है। कुंभ में अखाड़ों का मुख्य आकर्षण होता है पेशवाई और शाही स्नान। मेला क्षेत्र में अखाड़ों के धूम-धाम से प्रवेश को पेशवाई कहा जाता है। पूर्णिमा, अमावस्या, मकर संक्रांति, वसंत पंचमी जैसे मुख्य पर्वों पर शाही स्नान होता है। अब तक सिर्फ 13 अखाड़ों को ही अखाड़ा परिषद ने मान्यता दी है और इनकी ही पेशवाई प्रयाग में निकलती है।
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