तेईस साल चला केस, छह से अधिक जजों ने की सुनवाई और इस के केस में आ गया निर्णय
जानिए क्या है रहा निर्णायक मोड़,जिसमें हो गई बड़ी सजा

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित हत्याकांड मामले का दो दशक बाद फैसला आया है। जिसकी चर्चा प्रदेश भर में है। जवाहर पंडित हत्याकांड के मामले की सुनवाई आधा दर्जन से ज्यादा न्यायाधीशों ने की इस मामले की सुनवाई की। लेकिन फैसला इसका अपर सेशन जज बद्री विशाल पांडे ने सुनाया।भदोही के ज्ञानपुर के रहने वाले बद्री विशाल त्रिपाठी 2013 की एच जे एस परीक्षा पास करने के बाद सीधे अपर सेशन जज बने पहली नियुक्ति गोरखपुर जिला न्यायालय में दी गई ।इलाहाबाद जिला न्यायालय की दूसरी पोस्टिंग है। इनके संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐसा आदेश भी दिया था। कि जब तक इस हत्याकांड का फैसला नहीं सुनाएंगे तब तक इनका किसी अन्य अदालत में स्थानांतरण नहीं किया जाएगा।
इसे भी पढ़े- BIG NEWS : कोर्ट के एक फैसलें के बाद टल गई भाजपा विधायक की बेटी की शादी, अब ...
इन जजों ने की सुनवाई
मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद भोपाल सिंह आरोपितों के खिलाफ आरोप तय किए प्रेमनाथ ने अभियोजन पक्ष के गवाहों का बयान बचाव पक्ष की जिरह दर्ज की आरोपी करवरिया बंधुओं को उनकी मां के अंतिम संस्कार में सम्मिलित होने की अनुमति भी दी थी। रमेश चंद्र ने बचाव पक्ष के गवाहों का बयान दर्ज किया सरकार के मुकदमे वापसी की अर्जी पर सुनवाई की और आदेश दिया। पवन कुमार तिवारी बचाव पक्ष के गवाहों का बयान दर्ज किए। इंद्रदेव दूबे बचाव पक्ष के गवाहों का बयान दर्ज किए। बद्री विशाल पांडे ने मुकदमे की अंतिम बहस सुनी और बहस का फैसला सुनाया।
हत्या से अब तक के महत्वपूर्ण पड़ाव
13 अगस्त 1996 को हत्या हुई।एफ आई आर दर्ज 13 अगस्त 1996 की रात में कराया गया।20 जनवरी 2004 को अदालत में चार्जशीट पेश की गई। अग्रिम विवेचना वर्ष 2008 में शुरू हुई।इलाहाबाद हाई कोर्ट से मामले की कार्यवाही पर स्टे खारिज 2013 में किया गया।पूर्व विधायक उदयभान करवरिया ने 1 जनवरी 2014 को सरेंडर किया।सत्र न्यायालय को मुकदमा परीक्षण के लिए 2015 में सुपुर्द किया गया।हाईकोर्ट से पुना स्थगन आदेश 8 अप्रैल 2015 को खारिज हुआ।मई 2015 को आरोप तय किए गए।सरकारी पक्ष की गवाही 19 अक्टूबर 2015 को शुरू हुई।सरकारी पक्ष की गवाही सितंबर 2017 में पूरी हुई।बचाव पक्ष की गवाही अक्टूबर 2017 में शुरू हुई।नवंबर 2018 में शासक ने मुकदमा वापसी की अर्जी दाखिल की।शासन की मुकदमा वापसी की अर्जी फरवरी 2019 को खारिज हुई ।सरकारी पक्ष की बहस 16 अगस्त 2019 से 12 सितंबर 2019 तक चली।बचाव पक्ष की बहस 13 सितंबर 2019 से 18 अक्टूबर 2019 तक चली।फैसला 31 अक्टूबर 2019 को सजा सुनाते हुए अदालत ने दोषी करार दिया।4 नवंबर 2019 को आजीवन सजा का ऐलान हुआ।
अब पाइए अपने शहर ( Allahabad News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज