तभी अचानक जोर की माइक से आवाज आई की प्रसाद की हरिहर अचनाक संतो की भीड़ उसी अखाड़े की ओर बढने लगी । हमारी भी उत्सुकता बढ़ी हम अखाड़े में नागाओं की मढ़ी में बैठे पता चला कि अखाड़े में भोजन का समय हुआ है ।तब नागा संत की अनुमति से उनके पास बैठा और जाना की सामान्य जीवन में खाने पीने वाली सामग्रियों के नाम भी इस अखाड़ों में अलग है । बाबा ने कहा जाओ रोटी राम का प्रसाद लेकर आओ लेकिन हम तो सिर्फ जानना चाह रहे थे की अखाड़ों में राम का नाम कहा -कहा जोड़ा जाता है । नागा संत ने बताया की भगवान हमें अन्न देते है बिना उनके कुछ मिलना सम्भव नही है उन्होंने कहा की ईश्वर का नाम जुड़ने सब कुछ प्रसाद हो जाता है । जिससे खाने के नाम तो पवित्र हो ही जाते हैं उसका स्वाद भी बदल जाता है।
संगम की रेती पर आप पहुंचेंगे वैदिक मंत्रों हवन ,अनुष्ठान और पूजन के साथ आपको दानदाताओं और अखाड़ों में बड़े-बड़े भंडारे की गूंज सुनाई पड़ेगी । 16 सेक्टर में अखाड़ों की छावनी में दिनों -दिन अंदर की भीड़ बढ़ती जा रही है, जब भी भोजन की पुकार होती है। तो माइक से आवाज आती है प्रसाद की हरिहर एक तरह का कोड होता है ।जो संत समाज और उनकी परंपरा से जुड़े लोग समझ जाते हैं प्रसाद की हरिहर का मतलब होता है कि भोजन का समय हो गया। जिस पर सीधे अखाड़ों में बने अन्न क्षेत्र में पहुंचते हैं।
बाबा बैरागी ने बताया कि हम भले ही प्याज का सेवन नहीं करते हैं। हम उसका नाम भी नही लेते और प्याज को लड्डू राम कहते हैं। नमक राम कहते हैं राम रस यानी जिस पदार्थ से खाने में रस बढ़ जाए ।इसलिए नमक को राम रहते हैं सब्जी को सब्जी राम ,दाल राम ,मिर्ची को लंका राम के नाम से पुकारा जाता है। साधु अदरक को अदरक राम और मसाले को मसाला राम कहते है।भंडारे की हरिहर में आज जलेबी राम ,रोटी राम ,दाल राम सब्जी राम और पानी राम दिया जा रहा था।