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संगम की रेती पर शुरू हुई भंडारे की हरिहर ,आपको मिलेगा लंका राम और राम रस

locationप्रयागराजPublished: Jan 16, 2019 12:57:38 pm

जानिए किसे कहते है लड्डू राम आप जानकर हैरान हो जायेंगे

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प्रयागराज। संगम की रेती पर बसाया जाने वाला तम्बुओ का सच में अद्भुत और निराला है। हर कदम पर अलग-अलग रंग संस्कृति के लोग इस अद्भुत नगरी में खिचें चले आ रहे है। कुंभ में सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र अखाड़ों की मढ़ी में बैठे नागा संत है। जिनकी दुनिया बिल्कुल निराली है।कुंभ में नागा संतो के पास उनका आशीर्वाद लेने की होड़ लगी है। नागा बाबाओं से बात करने पर उनके कई रोचक तथ्य और उनकी बातें जानकार थोड़ी हैरानी हुई तो वही उनको और समझने की उत्सुकता भी बढ़ी।

तभी अचानक जोर की माइक से आवाज आई की प्रसाद की हरिहर अचनाक संतो की भीड़ उसी अखाड़े की ओर बढने लगी । हमारी भी उत्सुकता बढ़ी हम अखाड़े में नागाओं की मढ़ी में बैठे पता चला कि अखाड़े में भोजन का समय हुआ है ।तब नागा संत की अनुमति से उनके पास बैठा और जाना की सामान्य जीवन में खाने पीने वाली सामग्रियों के नाम भी इस अखाड़ों में अलग है । बाबा ने कहा जाओ रोटी राम का प्रसाद लेकर आओ लेकिन हम तो सिर्फ जानना चाह रहे थे की अखाड़ों में राम का नाम कहा -कहा जोड़ा जाता है । नागा संत ने बताया की भगवान हमें अन्न देते है बिना उनके कुछ मिलना सम्भव नही है उन्होंने कहा की ईश्वर का नाम जुड़ने सब कुछ प्रसाद हो जाता है । जिससे खाने के नाम तो पवित्र हो ही जाते हैं उसका स्वाद भी बदल जाता है।

संगम की रेती पर आप पहुंचेंगे वैदिक मंत्रों हवन ,अनुष्ठान और पूजन के साथ आपको दानदाताओं और अखाड़ों में बड़े-बड़े भंडारे की गूंज सुनाई पड़ेगी । 16 सेक्टर में अखाड़ों की छावनी में दिनों -दिन अंदर की भीड़ बढ़ती जा रही है, जब भी भोजन की पुकार होती है। तो माइक से आवाज आती है प्रसाद की हरिहर एक तरह का कोड होता है ।जो संत समाज और उनकी परंपरा से जुड़े लोग समझ जाते हैं प्रसाद की हरिहर का मतलब होता है कि भोजन का समय हो गया। जिस पर सीधे अखाड़ों में बने अन्न क्षेत्र में पहुंचते हैं।

अखाड़ों में तय समय पर सुबह चाय की हरिहर ,दोपहर के खाने की हरिहर, शाम के नाश्ते की हरिहर और रात के भोजन की हरिहर होती है। अखाड़ों में माइक से एनाउंस किया जाता है। जिससे दूर तक फैले उनके संत एक जगह एकत्रित होते हैं। बिना लहसुन और प्याज के स्वादिष्ट और सात्विक भोजन करने वाले यह संत राम को अपने जीवन से जुड़े तथ्य में शामिल करते हैं। दशनाम जूना अखाड़े की रमता पंच में बैठे बैरागी बाबा बताया कि यहां पर बिना राम के हम माटी की रेती भी नहीं उठाते है ।बोले यह धरती मां होगी सबके लिए लेकिन हमारे लिए रेती राम है।

बाबा बैरागी ने बताया कि हम भले ही प्याज का सेवन नहीं करते हैं। हम उसका नाम भी नही लेते और प्याज को लड्डू राम कहते हैं। नमक राम कहते हैं राम रस यानी जिस पदार्थ से खाने में रस बढ़ जाए ।इसलिए नमक को राम रहते हैं सब्जी को सब्जी राम ,दाल राम ,मिर्ची को लंका राम के नाम से पुकारा जाता है। साधु अदरक को अदरक राम और मसाले को मसाला राम कहते है।भंडारे की हरिहर में आज जलेबी राम ,रोटी राम ,दाल राम सब्जी राम और पानी राम दिया जा रहा था।

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