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कुंभ मेला 2019: दुनिया के स्वागत के लिए तैयार हो रहा कुंभ एंथम

locationप्रयागराजPublished: Jun 06, 2018 01:54:07 pm

कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत कुंभ एंथम से होगा…

kumbha Anthem prepaer for kumbha mela 2019

कुंभ मेला 2019: दुनिया के स्वागत के लिए तैयार हो रहा कुंभ एंथम

इलाहाबाद. आगामी कुंभ मेले की तैयारियों में हर दिन हो रही हो रहे नए-नए काम में एक और महत्वपूर्ण कड़ी जुड़ने जा रही है। जिसमे अब संतों, महंतों सहित श्रद्धालुओं को कुम्भ के लिए तैयार हो रही विशेष धुन सुनने को मिलेगी। जहां कुम्भ की ब्रान्डिंग देश-विदेश भर में हो रही है। वहीं 2019 कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत कुंभ एंथम (गान) से होगा है।
कुंभ एंथम के बोल तैयार किए जा रहे हैे। जिसमेे साधु-संतों से भी इस पर सलाह ली जा रही है। जिसमें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष से भी इस पर विशेष चर्चा की गई है। उनके सुझाव को ध्यान में रखते हुए कुंभ एंथम में शाही स्नान और संतों के दर्शन की महिमा से जुड़े कंन्टेंट भी शामिल किए जाएंगे। इसके लिए पर्यटन विभाग और सरकार कई संगीतकारों के संपर्क में है।
कुंभ एंथम को हिंदी समेत कई अन्य भाषाओं में तैयार किया जाएगा। हालांकि पहले हिंदी वर्जन तैयार होगा। जिसमें आवाज़ देने के लिए बॉलीवुड की भी मदद ली जाएगी। कुंभ एंथम तैयार होने के बाद इसे रेडियो, टेलीविजन और सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित किया जाएगा।
उप निदेशक पर्यटन दिनेश कुमार के अनुसार कुंभ एंथम देश-विदेश में प्रचार-प्रसार का एक सशक्त माध्यम साबित होगा। इसीलिए प्रदेश सरकार के निर्देश पर इसे तैयार करवाया जा रहा है। फिलहाल यह तय नहीं हुआ है कि, यह कितने समय का बनेगा। लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखा जाएगा कि, कुंभ की महिमा इस एंथम के जरिए बेहतर तरीके से लोगों के सामने प्रस्तुत की जा सके।
इसीलिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि द्वारा इसमें अखाड़ों के शाही स्नान और कुंभ में आने वाले संतों की महिमा को शामिल करने का सुझाव दिया है। जिसे सम्मिलित करने के लिए उच्च अधिकारियों के पास भेजा जा चुका है। इसी तरह कुंभ के महात्म्य, इसकी प्राचीनता, अध्यात्मिकता और इससे जुड़े रहे राजाओं और प्राचीन संतों को भी एंथम में शामिल किया जाएगा।
एंथम को सबसे पहले हिन्दी भाषा और संस्कृत में तैयार किया जा रहा है। इसके बाद इसका अनुवाद अन्य भाषाओं में कराया जाएगा। जिससे हिन्दी भाषी राज्यों के साथ ही गैर हिन्दी भाषी राज्यों व अन्य देशों में भी इसे प्रसारित किया जा सके। एंथम के कंटेंट और इसके संगीत को लेकर प्रादेशिक के साथ बालीवुड के कलाकारों की भी मदद ली जाएगी।
वहीं प्रचार प्रसार के लिए बनाए जा रहे गीत में साधु संतों के महात्मा और शाही स्नान के उल्लेख किए जाने से प्रयाग महात्म्य दुनिया को दिखाया बताया जा सकता है। कैवल्य धाम के महंत हरि चैतन्य स्वामी ने कहा की कुंभ एंथम के जरिए साधु संतों के महात्म को लोगों तक पहुंचाने का जो तरीका सरकार ने खोजा है।
वह स्वागत योग्य है। कुंभ में गंगा स्नान और संतों के दर्शन का विशेष महत्व है। लोग जन्म जन्मातर का प्रायश्चित करने के लिए गंगा जी में डुबकी लगाते हैं। वहीं इसी समय पर जनमानस के लिए संतों का दर्शन सुलभ हो पाता है। गीत के माध्यम से सरकार द्वारा साधु-संतों के महत्व को लोगों तक पहुंचाने का अच्छा जरिया है। वहीं लोगों का कहना है कि, गीत एक सहज माध्यम है। गीत के माध्यम से अपनी बात लोगों तक सरल तरीके से पहुंचाया जा सकता हैं और कुंभ का अपना एक विशेष महत्व है। जिसकी विश्व भर में ख्याति भी है। और सरकार द्वारा अगर कुंभ के प्रचार-प्रसार के लिए गीत माध्यम बनाया गया है तो यह बहुत ही बढ़िया कदम है।
input प्रसून पांडेय

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