दो दशक बाद कुंभाभिषेक का आयोजन
बता दें कि संगम के तट पर शंकर विमान मंडपम का निर्माण 22 जनवरी 1969 को शुरू हुआ और 1985 में भव्य मंदिर का निर्माण पूरा हुआ। पहली बार शंकर विमान मंडपम में कुंभाभिषेक का आयोजन 13 मार्च 1986 को हुआ था बता दें कि लंबे समय बाद की तैयारियों के मद्देनजर शंकर विमान मंडपम का जीर्णोद्धार हुआ है। इसके बाद फिर कुंभाभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। संगम के तट पर दक्षिण शैली में बना यह मंदिर बेहद आकर्षक है। पांच मंजिला इस मंदिर में भगवान् शिव के अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन होता है।
राज्यपाल बनने के बाद मेरा सबसे अच्छा काम
राज्यपाल राम नाइक ने कहा, यूपी में आने और राज्यपाल बनने के बाद अगर मैंने कोई सबसे अच्छा काम किया तो वह यह है की प्रयागराज का सांस्कृतिक गौरव वापस लौटाने का। क्योंकि इसका पुराना नाम प्रयागराज था बीच में इलाहाबाद हो गया। उन सब बातों को भूलकर इसको फिर से प्रयागराज करने से आनंद की अनुभूति कर रहे है। उन्होंने कहा, मैंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था कि इलाहाबाद को उसका पुराना गौरव दिलाने के लिए इसका नाम प्रयागराज किया जाए।
दक्षिण और उत्तर भारत को जोड़ने का अद्भुत मंदिर
राज्यपाल ने कहा, संगम तट पर बना यह मंदिर दक्षिण भारत के परिदृश्य को उत्तर में दिखाता है। दक्षिण और उत्तर भारत को जोड़ने का कार्य वर्षों पहले से हो रहा है। ऐसे में आज यह परंपरा फिर से शुरू हो रही है। जो अद्भुत है। राज्यपाल ने कहा, मेले के समय संगम तट पर जब देश—विदेश से श्रद्धालु आएंगे तो इसकी भव्यता और सुंदरता अपने देशों में जाकर बखानेंगे।
दुनिया के 107 देशों में आमंत्रण स्वीकार
राज्यपाल ने बताया कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के कुंभ में आने के आमंत्रण को अब तक दुनिया के 107 देशों में स्वीकार किया है। उन सब का स्वीकार पत्र संबंधित लोगों को मिल गया है। कुंभ मेला दुनिया का सर्वश्रेष्ठ आयोजन साबित होगा। देश और दुनिया भर के आने वाले श्रद्धालु सनातन धर्म संस्कृति की विरासत और आस्था के महापर्व का हिस्सा होंगे। राज्यपाल ने कहा कि इस अद्वितीय अवसर पर उत्तर प्रदेश का हिस्सा होना मेरे लिए सम्मान और गर्व की बात है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस से लिया आशीर्वाद
राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जैनेंद्र सरस्वती जी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आशीर्वाद लिया है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में दक्षिण का विशाल मंदिर अपनी सांस्कृतिक एकजुटता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। शंकराचार्य ने कहा, दक्षिण की बुद्धि और उत्तर की शक्ति मिलकर कुंभ को महापर्व और विशेष आयोजन बनाएगी। कुम्भाभिषेक के आयोजन में जस्टिस गिरिधर मालवीय, कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी आयोजन समिति के संयोजक राकेश कुमार शुक्ला सहित मंदिर के प्रबंध कमेटी के सदस्य जीएस सुब्रमण्यम, सीआर गायत्री और सी सुंदरमूर्ति भी शामिल हुए।