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आमलोगों के लिये खुलेगा अकबर का किला, मगर आ सकती है यह मुसीबत, सपा सांसद ने…

locationप्रयागराजPublished: Jul 26, 2019 05:52:22 pm

-पैतालीस बरस में बीस हजार मजदूरों ने बनाया था इसे -सपा सांसद ने किया खाली कराने का विरोध कहा ,भूमाफियाओं की है नजर -सेना के मुख्यालय के निर्देश के बाद शुरू हुआ सर्वे का कम

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प्रयागराज। संगम नगरी में यमुना के तट पर स्थित अकबर का किला अगले बरस से आम जनमानस के लिए खोला जा सकता है। जिसकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। दरअसल ये किला अभी सेना के संरक्षण में है। सेना का विशाल आयुध भंडारण किले में है। इस किले में स्थित आयुध भंडार को छिवकी में स्थानांतरित करने का आदेश रक्षा मंत्रालय ने जारी किया है। जानकारी के मुताबिक सेना मुख्यालय ने किला खाली करने का समय भी मुकर्रर कर दिया है। जानकारी के मुताबिक 2020 के अप्रैल तक किला खाली हो जाएगा। रक्षा मंत्रालय से मिले निर्देश के बाद जिला प्रशासन ने आयुध भंडार के साथ ही संबंधित कार्यालयों को भी शिफ्ट करने के लिए विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को तैयारी करने के लिए कह दिया है। इलाहाबाद की सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने आयुध भंडार किले से छिवकी शिफ्ट किए जाने की आधिकारिक पुष्टि की है।

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आदेश सेना मुख्यालय को दे दिया
इतिहास के पन्नों में दर्ज 1583 ईस्वी में बने अकबर किस किले को आम जनता के लिए खोले जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है।2019 के कुंभ के दौरान केंद्र सरकार के निर्देश पर किले में स्थित अक्षयवट को आम जनमानस के लिए खोला गया।रक्षा मंत्रालय ने किले में स्थित आयुध भंडार को छिवकी ले जाने का आदेश सेना मुख्यालय को दे दिया है। लेकिन इस आदेश का एक तबका विरोध भी कर रहा है। आर्डिनेंस डिपो फोर्ट पंचायत के अध्यक्ष अहमद सैयद के नेतृत्व में किला प्रतिनिधिमंडल में मुलाकात करके कार्यालयों की शिफ्टिंग किले के आसपास ही किए जाने की मांग रखी है।
राज्य सभा सांसद ने मुद्दे को उठाया
सदन में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राज्य सभा सांसद कुंवर रेवती रमण सिंह ने भी इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने कहा कि सेना से किला खाली कराया जाता है, तो संगम के आसपास विशाल मेला क्षेत्र में भी कब्जा शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि शहर से लगी हुई जमीनों पर बड़े प्रॉपर्टी डीलरों और बिल्डरों की नजर है। जो अभी सेना के कारण सुरक्षित है। सेना के हटते ही प्रयाग में कुंभ मेले की विशालता को भी चोट लगेगी। इसलिए किले के साथ-साथ आसपास की जमीन को सेना के ही संरक्षण और सुरक्षा में रखा जाए।वही किला खाली कराने की तिथि तय होने के बाद ही आयुध भंडार और उससे संबंधित कार्यालयों को क्योंकि शिफ्ट करने की प्रक्रिया विभागीय तौर से शुरू कर दी गई है। इसके लिए विभाग के सर्वे किए जा रहे हैं पता चला है कि पहले सेना के दिल्ली स्थित हेड क्वार्टर से किले को 31 अगस्त तक खाली कराने का आदेश आया था। इस पर जिला प्रशासन ने समय कम होने की बात रखी और हाथ खड़े किए तो इसका समय बढ़ाया गया है।

इस किले को बनाने में 45 वर्ष का समय लगा
संगम के तट पर 30 हजार वर्ग फुट में बना विशाल अकबर का किला। अपने पहलुओं में तमाम इतिहास को दर्ज कर रखा है। किले के अंदर अशोक की विशाल लाट ,अक्षयवट का ऐतिहासिक वटवृक्ष, सरस्वती कूप , कहा जाता है कि इसे किले से दिल्ली के लाल किले तक विशाल सुरंग मौजूद है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर डॉ योगेश्वर तिवारी बताते हैं कि इस किले को बनाने में 45 वर्ष का समय लगा था। सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस किले को अकबर ने बनवाया था। जिसमें 20 हजार मजदूर लगे थे। इतिहास में दर्ज तारीख के अनुसार इसकी नींव 1853 में रखी गई थी। किले के अंदर फारसी भाषा में लिखा शिलालेख इसकी गवाही देते है। पत्थर पर भी 1883 में रखे जाने का जिक्र है। हालाकि इस पर तमाम इतिहासकारों का अलग-अलग मत है।कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसका निर्माण 1574 से पहले शुरू हो गया था 1773 में अंग्रेज के लिए में आए लेकिन दो वर्ष बाद उन्होंने इसके लिए को बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को बेच दिया।फिर 1778 बीच संधि के बाद यह किला अंग्रेजों के पास आ गया लंबे समय तक अंग्रेज यही रहे आजादी के बाद किले पर भारत सरकार का आधिपत्य कायम है।

अनियमित नक्शे पर बनना ही इसकी खासियत
कहा जाता है कि भौगोलिक स्थिति की वजह से बनाए गए नक्शे की हिसाब से नहीं बना था। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि अनियमित नक्शे पर बनना ही इसकी खासियत है इसमें बड़ी गैलरी है,जिस्म 3 ऊंची मीनारें स्थित है। साथ ही किले के अंदर जहांगीर महल है। कालांतर में मुगल शासकों ने किले के अंदर बड़े पैमाने पर फेरबदल किया। तो अंग्रेजों ने भी तोड़फोड़ करके बनाया था यहां की सुबेदारी जब सलीम के हाथों में आई थी तब सलीम ने यहां काले पत्थर का सिंहासन बनाया था जो अभी भी मौजूद है।
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