scriptगंगा यात्रा सीरीज : अब अइसे ज्यादा साफ नहीं होईए गंगा मैय्या, इ लॉकडाउन तो बहुत फायदे में रहा भैय्या | Lucknow Ganga Yatra Series Prayagraj Lockdown Ganges Yamuna sangam | Patrika News

गंगा यात्रा सीरीज : अब अइसे ज्यादा साफ नहीं होईए गंगा मैय्या, इ लॉकडाउन तो बहुत फायदे में रहा भैय्या

locationप्रयागराजPublished: May 06, 2020 03:38:46 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

गंगा यात्रा सीरीज :- लॉकडाउन के बाद गंगा का जो वृहद रुप यहां दिखाई दे रहा है उसे देख सभी खुश है। साफ निर्मल पानी दूर से ही नजर आता है। करीब आने पर दो रंगों की धाराओं साफ-साफ नजर आती है। एक गंगा और दूसरी यमुना की है यह धारा…
 

गंगा यात्रा सीरीज : अब अइसे ज्यादा साफ नहीं होईए गंगा मैय्या, इ लॉकडाउन तो बहुत फायदे में रहा भैय्या

गंगा यात्रा सीरीज : अब अइसे ज्यादा साफ नहीं होईए गंगा मैय्या, इ लॉकडाउन तो बहुत फायदे में रहा भैय्या

लाकडाउन के बाद गंगा का पानी निर्मल हुआ, गंगा मैली नहीं अब स्वच्छ जल वाली नजर आ रही है। लुप्त हुए जलचरों की प्रजातियां भी इस समय नजर आने लगी है। अपने उद्गम स्थल गंगोत्री से निकल कर गंगा कैसे अपने अंतिम गंगासागर में मिलती है। इस बीच जहां-जहां से यह गुजरती है उन शहरों में गंगा का आज क्या हाल है। हम इस बारे में जानेंगे, इस गंगा यात्रा सीरीज में……
पेश है आज गंगा यात्रा सीरीज की पांचवी रिपोर्ट :- प्रयागराज से प्रसून पाण्डेय की रिपोर्ट

प्रयागराज. प्रयागराज, संगम का नाम सुन श्रद्धालु तुरंत कान पर हाथ लगाकर मां गंगा का ध्यान करने लगते हैं। पवित्र नगरी प्रयागराज में गंगा-यमुना और लुप्तप्राय सरस्वती का संगम होता है। देश दुनिया से आकर लोग यहां स्नान कर मोक्ष की प्रार्थना करते हैं। लॉकडाउन से पहले गंगा ने अपने को अपने ही अंदर सिकुड़ लिया था। मटमैले पानी को देख श्रद्धालुओं की आस्था भारी पड़ती थी, और मन को समझाकर संगम में स्नान कर लेते थे। लॉकडाउन के बाद गंगा का जो वृहद रुप यहां दिखाई दे रहा है उसे देख सभी खुश है। साफ निर्मल पानी दूर से ही नजर आता है। करीब आने पर दो रंगों की धाराओं साफ-साफ नजर आती है। गंगा को देखकर प्रयागराजवासी बहुत प्रफुल्लित है, आपस में चर्चा करते हुए कह रहे हैं कि अब ऐसे ज्यादा साफ नहीं होईए गंगा मैय्या, इ लॉकडाउन तो बहुत फायदे में रहा भाई।
गंगा यमुना सरस्वती का पावन संगम तट जहां हर दिन लाखों लोगों की भीड़ पतित पावनी की अविरल धारा के दर्शन स्नान पूजन के लिए यहां पहुंचती थी। वैदिक कर्मकांड के मंत्र यहां सुनाई देते थे। संगम के तट पर बैठे पुरोहितों से अपने पुरखों का धार्मिक विरासत भी जानने यहां हर दिन लोग आया करते थे। लेकिन दुनियाभर में मौत का खौफ बन चुका कोरोना वायरस जहां आम जनजीवन के लिए मुश्किल हालात खड़े कर दिए है। त्रिवेणी के तट पर रह कर जीवनयापन करने वाले लाखों परिवार इस मुश्किल घड़ी से निकलने की कामना कर रहा है।
ये सच है की इन सब के बीच मोक्षदायिनी मां गंगा के लिए लॉकडाउन का समय वरदान साबित हो रहा है। लॉकडाउन की वजह से इन दिनों कल कारखाने बंद हैं। गंगा के घाटों पर श्रद्धालुओं की आवाजाही भी ठप हो गई है। घाटों पर न गंदगी फैल रही है और न ही गंगा में टेनरियों का गंदा पानी गिर रहा है। इससे गंगाजल की शुद्धता पहले के मुकाबले बढ़ गई है। मटमैला सा दिखने वाला गंगाजल अब हल्का दूधिया सा नजर आने लगा है। संगम नगरी मे वैसे तो इन दिनों श्रद्धालुओं का आना कम हो जाता है लेकिन तीर्थयात्री यहां सालभर आते है। जिनके सहारे घाट पर रहने वाले के साथ आस-पास के मठ मंदिरों में भी वर्षभर रौनक रहती है। लेकिन इन दिनों सब कुछ लॉकडाउन के चलते बंद है। लेकिन साधु संत और गंगा सेवक वर्षों बाद गंगा निर्मलता और अविरलता को देखकर उत्साहित हैं।
कानपुर का कर्म भुगता है प्रयागराज :- लॉकडाउन के चलते संगम के तट सहित देवस्थानों पर ताले लगे है। विश्वप्रसिद्द बड़े हनुमान जी माहराज का मंदिर के कपाट नहीं खुल रहे है। शक्ति पीठ अलोपशंकरी माँ का दरबार बंद है। बेनीमाधव मंदिर, नागवासुकी, अक्षयवट, सभी देव स्थानों पर किसी के आने की अनुमति नहीं है। जहां रहने वाले सैकड़ों मंदिर के पुजारी सेवक सब भगवान से इस महामारी से मुक्ति पाने की आराधना कर रहे है। इन सबके बीच गंगा का जल स्वच्छ और अविरल हो गया है। कल कारखानों के बंद हो जाने से इन दिनों गंगा नदी में गंदा पानी नहीं प्रवाहित हो रहा है। खासतौर पर गंगोत्री से निकलने वाली गंगा नदी कानपुर की टेनरियों की वजह से सबसे ज्यादा दूषित होती थी। लेकिन लॉकडाउन में कानपुर में भी उद्योगों के ठप हो जाने से गंगा का पानी पहले से कई गुना साफ नजर आने लगा है।
गंगा पहले ज्यादा निर्मल हुई :- महंत नरेन्द्र गिरी भी मानते हैं कि लॉकडाउन में गंगा पहले ज्यादा अविरल और निर्मल हुई हैं। उन्होंने कहा है कि गंगा में गर्मी की वजह से पानी जरुर कुछ कम हुआ है। लेकिन इसका यही स्वरुप बरकरार रहे इसके लिए वे केन्द्र और प्रदेश सरकारों से मांग करेंगे कि गंगा के किनारे लगे कल कारखानों का पानी गंगा में न छोड़ा जाये।
प्रकृति खुद बैलेंस करती है :- वहीं गंगा सेवक डॉ कमलेश सिंह का कहना है कि मानव में वो ताकत ही नहीं है कि वह प्रकृति को ठीक कर सके। उनके मुताबिक प्रकृति अपना बैलेंस खुद करती है। इसलिए जहां नमामि गंगे जैसे योजनायें करोड़ों रुपए खर्च करके जो काम अब तक नहीं कर सकीं, वो काम कोरोना महामारी के दौरान इस लॉकडाउन ने पूरा कर दिया है। उनके मुताबिक गंगा और यमुना पवित्र नदियों में जल की स्वच्छता से लोगों के बीच भी अच्छा संदेश जायेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो