यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने वेदिका गुप्ता व छह अन्य विधि छात्र-छात्राओं की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में गोपीगंज के थाना इंचार्ज सुनील वर्मा के खिलाफ पर एफआईआर दर्ज कराने व पुलिस अभिरक्षा में मौत की न्यायिक जांच की मांग की गई थी। याची के अधिवक्ता केके रॉय का कहना था कि घटना की जांच के लिए एसीजेएम भदोही के समक्ष सीआरपीसी की धारा 176 के तहत अर्जी दी गई लेकिन कोई आदेश नहीं हुआ।
इस पर कोर्ट ने कहा कि स्थानीय क्षेत्राधिकार वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट से घटना की जांच कराई जानी चाहिए और जिलाधिकारी को न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया। कोर्ट ने एक माह में जांच पूरी करने की उम्मीद जताई है।
मजिस्ट्रेट के सम्मन पर आरोप का ट्रायल शुरू हो सकता है : हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि मजिस्ट्रेट के सम्मन पर आरोप का ट्रायल शुरू हो सकता है । इसलिए पुलिस रिपोर्ट पेश होने पर मजिस्ट्रेट को विवेक का प्रयोग कर संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि मजिस्ट्रेट के सम्मन पर आरोप निर्मित हो सकता है व गवाही हो सकती है, ऐसे में कैजुअली या विवेक का प्रयोग किए बगैर आदेश नहीं देना चाहिए ।
कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट पुलिस रिपोर्ट प्राप्त करने का कार्यालय नहीं है और न ही विवेचना पूरी करने की रिपोर्ट पर मुहर लगाने के लिए है ।कोर्ट ने अलीगढ़ के क्वारशी थाना क्षेत्र निवासी डाॅ. नरेन्द्र चौधरी की 25 सितंबर 2014 को हुई हत्या के मामले में आरोपियों को सम्मन जारी कर तलब करने के आदेश को रद्द कर दिया है और मजिस्ट्रेट को एक माह में आदेश करने का निर्देश दिया है ।
कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने बिना विवेक का प्रयोग किए आदेश दिया है । यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने शकुंतला देवी व शीलेन्द्र कुमार की याचिका पर दिया है। मामले के तथ्यों के अनुसार पुलिस ने हत्या के आरोप में चार्जशीट दाखिल की। कहा आरोपी सीसीटीवी रिकार्डिंग में मृतक के साथ आखिरी बार देखे गए थे। हत्या का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था।
मजिस्ट्रेट ने पुलिस को कुछ बिंदुओं पर नए सिरे से विवेचना पूरी करने का निर्देश दिया। विवेचक ने दो अन्य गवाहों के बयान दर्ज करके दोबारा चार्जशीट दाखिल की। मजिस्ट्रेट ने पुरानी रिपोर्ट व रिकार्ड का अवलोकन कर सम्मन जारी किया लेकिन संतुष्ट होने का कारण नहीं बताया । याची के अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने कहा मजिस्ट्रेट ने आदेश देते समय विवेक का प्रयोग नहीं किया ।जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए सम्मन जारी करने का आदेश रद्द कर दिया है |
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