आज कुंभ का आखिरी स्नान है। महाशिवरात्रि का मुहूर्त रात्रि एक बजकर 26 मिनट पर लग रहा है इसीलिए श्रद्धालु तड़के सुबह से ही स्नान के लिए पहुंचने लगे थे। योगियों और संन्यासियों के लिए यह वह दिन है, जब शिव कैलाश पर्वत के साथ एकाकार हो गए थे। यौगिक परंपरा में शिव को ईश्वर के रूप में नहीं पूजा जाता है, बल्कि उन्हें प्रथम गुरु, आदि गुरु माना जाता है, जो योग विज्ञान के जन्मदाता थे। कई सदियों तक ध्यान करने के बाद शिव एक दिन वह पूरी तरह स्थिर हो गए. उनके भीतर की सारी हलचल रुक गई और वह पूरी तरह स्थिर हो गए। यही दिन महाशिवरात्रि है। इसलिए संन्यासी महाशिवरात्रि को स्थिरता की रात के रूप में देखते हैं।