धरने की वजह से जहां उनके एक्जाम की तैयारी पर इसका असर पड़ रहा है। वहीं परिवार की महिलाओं के धरने में शामिल होने से एक्जाम को लेकर बच्चों का कन्सन्ट्रेशन भी नहीं बन पा रहा है। जिसके चलते बच्चे और उनके अभिभावक भी अपने बच्चों के रिजल्ट को लेकर खासे चिन्तित नजर आ रहे हैं। हांलाकि सीएए के खिलाफ धरने में शामिल महिलाओं और बच्चों का कहना है कि जब उनकी नागरिकता ही नहीं बचेगी तो आखिर उनकी शिक्षा ही किस काम आयेगी। महिलाओं और बच्चों ने कहा है कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए केंद्र सरकार को अब इसे तत्काल वापस ले लेना चाहिए।
गौरतलब है कि रोशनबाग में मुस्लिम महिलाओं का यह धरना 12 जनवरी से चल रहा है। धरने में हर दिन बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं शिरकत करती हैं। इसके साथ ही पार्क के अंदर लगाई गई बैरीकेटिंग के बाहर पुरुष भी मौजूद रहते हैं। सीएए के खिलाफ बेमियादी आंदोलन कर रही महिलाओं का साफ़ तौर पर यही कहना है कि जब तक सीएए वापस नहीं हो जाता, तब तक उनका धरना इसी तरह जारी रहेगा। हांलाकि धरने में लगभग हर दिन बाहर से कोई न कोई समर्थन देने जरुर पहुंच रहा है। इसके साथ ही लोगों के भाषणों और नारेबाजी के जरिए भी आन्दोलन को बचाये रखने की कोशिश भी हो रही है। धरने में लगातार भीड़ बने रहने से प्रशासन भी पर दबाव बढ़ता जा रहा है। हांलकि प्रशासन ने आन्दोलनकारियों से कई बार बातचीत की और धरना खत्म कराने की भी कोशिश की लेकिन धरना समाप्त नहीं करा पायी है।