गंगा यमुना सरस्वती के पावन त्रिवेणी की धरती पर स्थित भगवान शिव का विशाल स्वरूप जिसे नागवासुकी मंदिर के नाम से जाना जाता है।नागवासुकी मंदिर गंगा के तट पर शहर के दारागंज इलाके में स्थित है। नागवासुकी मंदिर की मान्यता यहां पौराणिक कालों से है। जिसकी पूजा अर्चना से लोगों को पाप से मुक्ति और कई ग्रह दोषों से छुटकारा मिलता है।
नागवासुकी मंदिर का विशेष महत्व नागपंचमी के दिन होता है । माना जाता है,कि नाग पंचमी पर नागवासुकी मंदिर में पूजा अर्चना रुद्राभिषेक शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस मंदिर में कालसर्प दोष की शांति और पूजा करने पर मानव जीवन से काल सर्प दोष का संकट समाप्त हो जाता है।
इस बार सालों बाद नाग पंचमी पर तीन योग एक साथ बने हैं, जिसमें अमृतमयी जयंती सिद्धि योग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य डॉ राममिलन मिश्र के अनुसार इस युग में भगवान शिव की आराधना करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलेगी काल नागपंचमी की तिथि मंगलवार की रात लगभग 3:30 बजे से शुरू होकर बुधवार की रात्रि एक बचकर 51 मिनट तक रहेगी।
डॉ राम मिलन मिश्र के अनुसार नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष शांति करानी से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नाग पंचमी के दिन सर्पों कि स्वामी तक्षक वासुकि की पूजा करनी चाहिए।नाग पंचमी में भगवान् शिव को दूध और लावा अर्पित किया जाता है ,नाग को दूध पिलाना अमृत पान का प्रतीक है।