याचिका पर राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिवक्ता ने प्रतिवाद किया। याची का कहना था कि जब तक उसकी आपत्ति का निस्तारण न कर दिया जाय तब तक उसका मकान न गिराया जाय। कोर्ट ने कहा विशेषज्ञ टीम द्वारा सर्वे कर डीपीआर तैयार किया जाता है। यूनिक डिजाइन कंसल्टेशन कम्पनी ने विस्तृत योजना तैयार की और आजमगढ़ में बाईपास बनाने की योजना के तहत प्राधिकरण मार्ग चौड़ीकरण कर रहा है। कार्यवाही नियमानुसार की जा रही है। किसी के निर्माण को बचाने के लिये योजना में बदलाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।
हल्की ड्यूटी से हटाकर कन्डक्टरी देने का आदेश रद्द इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सर्वाइकल स्पाण्डलाइटिस सहित रेडीक्लोपैथी गले की बीमारी से ग्रसित उ.प्र राज्य सड़क निगम कानपुर के कर्मी को हल्की ड्यूटी के बजाय कन्डक्टर की ड्यूटी पर लगाने के आदेश को रद्द कर दिया है और उसके कार्य में हस्तक्षेप करने पर रोक लगाते हुए नियमित वेतन भुगतान का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य मेडिकल बोर्ड को याची की नये सिरे से चिकित्सा जांच करने का आदेश दिया है और कहा है कि मेडिकल बोर्ड देखे कि क्या याची कंडक्टर की ड्यूटी करने के योग्य है या नहीं।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने मोती बस स्टेशन कानपुर कार्यालय में कार्यरत राजेश कुमार दीक्षित की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। मेडिकल बोर्ड ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि याची 40 फीसदी विकलांग है। गले की बीमारी का ईलाज हो सकता है। उसे हल्की ड्यूटी दी जाय। इस पर याची को डिपो में हल्की ड्यूटी पर रखा गया। याची चलन क्रिया संबंधी विकलांग है। बाद में याची को स्टेट मेडिकल बोर्ड लखनऊ में जांच के लिए बुलाया गया और शारीरिक जांच के बाद उसे कंडक्टर की ड्यूटी पर भेजने का आदेश दिया। जिसे याचिका में चुनौती दी गयी है।