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सामने आया तलवार दंपति के वकील का पहला बयान, जानिए क्या कहा

locationप्रयागराजPublished: Oct 12, 2017 06:05:41 pm

चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुनाते हुए तलवार दंपती को बरी कर दिया है।

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इलाहाबाद. चर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड में हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुनाते हुए तलवार दंपती को बरी कर दिया है। कोर्ट ने दोनों को तत्काल जेल से रिहा करने को कहा है। यह फैसला हाई कोर्ट की डबल बेंच के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की खंडपीठ ने सुनाया है।
वहीं फैसला आने के बाद तलवार दंपित के वकील दिलीप गुप्ता का पहला बयान सामने आया है। दिलीप गुप्ता ने कहा कि, अबोध बालिका जो की रात के समय बहुत दर्भाग्य पूर्ण परिस्तिथियों में सुबह मृत अवस्था में पाई गई। उस समय आरूषि के माता- पिता तलवार दंपती घर पर थे। ट्रायल कोर्ट ने इसी आधार पर दंपति को सजा सुनाई थी।
इसके बाद हमने ट्रायल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद कोर्ट में चुनौती दी थी। दो अपीले फाईल हुईं थी। एक नुपूर तलवार की तरफ से और दूसरी डा. राजेश तलवार की तऱफ से।

जिस पर गुरूवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति एके मिश्रा की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया। साथ ही तलवार दंपति को जेल से तुरंत रिहा करने का यह निर्देश दिया।
न्यायालय के आदेश के यह हैं प्रमुख बिंदु

1-सीबीआई की जांच में कई खामियां रहीं।

2-तलवार दंपती को संदेह का लाभ मिलता है।

3-निचली आदेश के फैसले को रद्द किया जाता है।
4-सीबीआई हत्या के आरोपों को सिद्ध नहीं कर पाई

5-तलवार दंपती ने अपनी बेटी को नहीं मारा।

6-दंपती को तत्काल जेल से रिहा किया जाए।

यह था मामला

डबल मर्डर केस की जांच पहले यूपी पुलिस ने की। बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में कोई सबूत और गवाह न होने की वजह से ट्रायल कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। हालांकि ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए तलवार दंपत्ति को तलब कर लिया था और मुक़दमे का ट्रायल करने का फैसला किया था। सीबीआई की ट्रायल कोर्ट ने नवम्बर 2013 में इस मामले में तलवार दंपत्ति को दोषी करार देते हुए दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
16 मई 2008 को दिल्ली से सटे नोएडा के जवलायु विहार स्थित घर में 14 साल की आरुषि का शव मिला, जबकि 17 मई को नौकर हेमराज की डेड बॉडी छत पर मिली थी। 2008 के आरुषि-हेमराज हत्याकांड में अदालत आरुषि के माता-पिता, नूपुर और राजेश तलवार को दोषी मान चुकी थी।
कौन हैं तलवार दंपति

– तलवार दंपति दिल्ली-एनसीआर के जाने माने डेंटिस्ट रहे। डॉ. राजेश पंजाबी परिवार से हैं और नुपुर महाराष्ट्रियन फैमिली से हैं। नूपुर एयरफोर्स के अफसर की बेटी हैं।

और डॉ. राजेश हार्ट स्पेशिलिस्ट के बेटे हैं। आरुषि का जन्म 1994 में हुआ था।
CBI की दो टीम ने जांच की; एक ने क्लीन चिट दी, दूसरी ने तलवार दंपति को सस्पेक्ट माना

– इस मामले की जांच सबसे पहले यूपी पुलिस ने शुरू की थी। शुरुआती जांच में पुलिस ने तलवार दंपति को शक के घेरे में लिया था। बाद में यह जांच सीबीआई को सौंपी गई।
– इस केस की जांच 31 मई 2008 को उस वक्त के सीबीआई ज्वाइंट डायरेक्टर के हाथ में आई। उन्होंने तलवार दंपति को क्लीन चिट दी और तीन नौकरों को सस्पेक्ट माना।

– इसके बाद सितंबर 2009 में फिर से सीबीआई की दूसरी टीम ने जांच शुरू की। इस बार सीबीआई के अफसर एजीएल कौर ने जांच शुरू की। उन्होंने तलवार दंपति को प्राइम सस्पेक्ट माना।
आरुषि-हेमराज कांड: कब क्या हुआ ?

– 16 मई, 2008 : आरुषि तलवार की बॉडी उनके घर में मिली।

– 17 मई, 2008 : नेपाल के रहने वाले नौकर हेमराज की लाश छत पर मिली, उसी पर आरुषि की हत्या का आरोप राजेश तलवार ने लगाया था।
– 18 मई 2008: जांच में यूपी एसटीएफ को भी लगाया गया। पुलिस ने कहा कि दोनों मर्डर बेहद सफाई से किए गए। साथ ही पुलिस ने माना की मर्डर में परिवार से जुड़े
किसी शख्स का हाथ है।

– 19 मई, 2008: तलवार परिवार के पूर्व घरेलू नौकर विष्णु शर्मा पर भी पुलिस ने शक जाहिर किया।

– 21 मई, 2008: यूपी पुलिस के साथ ही दिल्ली पुलिस भी मर्डर की जांच में शामिल हुई।
– 22 मई, 2008: आरुषि की हत्या ऑनर किलिंग होने का शक पुलिस ने जाहिर किया। इस पहलू से भी जांच शुरु की गई। पुलिस ने आरुषि के लगातार संपर्क में रहे

एक नजदीकी दोस्त से भी पूछताछ की। इस दोस्त से आरुषि ने 45 दिनों में 688 बार फोन पर बात की थी।
– 23 मई, 2008 : पुलिस ने डॉ. राजेश तलवार को मर्डर के आरोप में अरेस्ट किया।

– 29 मई, 2008: जांच सीबीआई के हवाले।

– 01 जून, 2008 : सीबीआई ने जांच शुरू की।
– 03 जून, 2008 : कम्पाउंडर कृष्णा को पूछताछ के लिए सीबीआई ने हिरासत में लिया।

– 27 जून, 2008 : नौकर राजकुमार को अरेस्ट किया गया।

– 12 जुलाई, 2008 : नौकर विजय मंडल अरेस्ट डॉ. तलवार को जमानत मिली।
– 29 दिसंबर 2010: सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट लगाई। गाजियाबाद कोर्ट ने नौकरों को क्लीन चिट दी लेकिन पेरेंट्स के रोल पर सवाल उठाए।

– 09 फरवरी 2011: मामले में तलवार दंपति बने आरोपी।
– 21 फरवरी 2011: दंपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपील की। हाईकोर्ट ने अपील खारिज कर दी और ट्रायल कोर्ट इनके खिलाफ सुनवाई शुरू करने के आदेश दिए।

– 19 मार्च 2011: सुप्रीम कोर्ट गए। यहां भी राहत नहीं मिली।
– 11 जून, 2012: सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। इस मामले की सुनवाई जस्टिस एस लाल ने की।

– 26 नवम्बर 2013 : नूपुर और राजेश तलवार को उम्रकैद की सजा। जस्टिस एस लाल ने 208 पेज का जजमेंट सुनाया था।
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