देश के कोने-कोने से आते हैं भक्त
प्रयागराज दारागंज में स्थित नागवासुकि मंदिर में सावन और नागपंचमी के देश के कोने-कोने से श्रद्धालु माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं। इस दिन प्रयागराज में विशेष मेला भी लगाया जाता है। जिसकी परंपरा महाराष्ट्र के पैष्ण तीर्थ से जुड़ी हुई है, जो नासिक की तरह गोदावरी के तट पर स्थित है। यह मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां नागवासुकि की आदमकद की प्रतिमा है। इसके साथ ही मंदिर के द्वार की देहली पर शंख बजाते हुए दो कीचक बने हुए हैं।
भव्य है इस मंदिर का स्वरूप
नागवासुकि मंदिर बहुत ही भव्य है। इस मंदिर में नाग देवता को केंद्र में प्रतिष्ठित किया गया है। इसलिए यह मंदिर नागवासुकि के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में नाग पंचमी के दिन दर्शन औऱ पूजा करने से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
कालसर्प दोष सहित हर दोष से होते हैं मुक्त
नागवासुकी मंदिर के पुजारी श्यामधर त्रिपाठी ने कहा कि हर सनातन धर्मावलंबी की आस्था का केंद्र यह मंदिर है। कालसर्प दोष सहित हर दोष के लिए हुए अनुष्ठान का त्वरित फल प्राप्त होता है।
मंदिर के व्यवस्थापक अंशुमान त्रिपाठी का मानना है कि नागवासुकी मंदिर में अनुष्ठान कराने वाले को दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। मंदिर आने वाले भक्तों को किसी भी तरह से असुविधा न हो इसका विशेष प्रबंधन किया गया है।
जिसकी परंपरा महाराष्ट्र के पैष्ण तीर्थ से जुड़ी हुई है, जो नासिक की तरह गोदावरी के तट पर स्थित है। यह मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां नागवासुकि की आदमकद की प्रतिमा है। इसके साथ ही मंदिर के द्वार की देहली पर शंख बजाते हुए दो कीचक बने हुए हैं।
इसके अलावा अन्य नाग देवताओं के मंदिरों और दूसरे शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। लोगों का मानना है कि यहां के पत्थर घर में रखने से सांप घर में नहीं आते हैं। मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं ने नाग देवताओं के दर्शन-पूजन कर उन्हें दूध चढ़ा रहे हैं। रुद्राभिषेक कर काल सर्प दोष और विष बाधा से मुक्ति की प्रार्थना कर रहे हैं।