इन मुकदमो की होगी सुनवाई
शुरुआत में तीन तरह के मुकदमों की ई.कोर्ट में सुनवाई की जायेगी। ई कोर्ट में शुरुआत में कंपनी मैटर्सए सेक्सन 24 कोड ऑफ सिविल प्रोसीडिंग के ट्रांसफर अप्लीकेशन और सेक्शन 150 के सिविल रिवीजन्स के मामलों की सुनवाई होगी। ई.कोर्ट में मुकदमे दाखिल करने के लिए हाईकोर्ट की ओर से ई.कोर्ट सर्विसेज भी प्रदान की जायेगी। जिसके जरिए कोई भी वादी औरअधिवक्ता सीधे हाईकोर्ट की वेबसाइट के लिंक पर जाकर साफ्ट कॉपी अपलोड कर सकता है।
शुरुआत में तीन तरह के मुकदमों की ई.कोर्ट में सुनवाई की जायेगी। ई कोर्ट में शुरुआत में कंपनी मैटर्सए सेक्सन 24 कोड ऑफ सिविल प्रोसीडिंग के ट्रांसफर अप्लीकेशन और सेक्शन 150 के सिविल रिवीजन्स के मामलों की सुनवाई होगी। ई.कोर्ट में मुकदमे दाखिल करने के लिए हाईकोर्ट की ओर से ई.कोर्ट सर्विसेज भी प्रदान की जायेगी। जिसके जरिए कोई भी वादी औरअधिवक्ता सीधे हाईकोर्ट की वेबसाइट के लिंक पर जाकर साफ्ट कॉपी अपलोड कर सकता है।
ई. कोर्ट पेपर लेस कोर्ट की ओर पहला कदम
यदि उसके पास ऐसी सुविधा और व्यवस्था नहीं है तो हाईकोर्ट में डेक्सटॉप की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। वहां पर जाकर सीडी या पेन ड्राइव के जरिए मुकदमा फाइल किया जा सकता है। दोनों ही स्थितियों में कार्य न हो पाने पर हाईकोर्ट में कुछ चार्ज लेकर स्कैन करने और अपलोड की सुविधा भी वादकारियों और अधिवक्ताओं को मुहैया करायी जायेगी। इस बात की जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस दिलीप गुप्ता ने दी है। उन्होंने कहा है कि ई.कोर्ट पेपर लेस कोर्ट की ओर बढ़ता हुआ पहला कदम है। इससे जहां खर्च में कमी आयेगीए वहीं पेपर वर्क कम होने से पर्यावरण को बचाने में भी मदद मिलेगी। हम आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट देश का पहला ऐसा हाईकोर्ट है जहां तेजी से रिकार्ड्स के डिजिटाइजेशन का कार्य चल रहा है।
यदि उसके पास ऐसी सुविधा और व्यवस्था नहीं है तो हाईकोर्ट में डेक्सटॉप की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। वहां पर जाकर सीडी या पेन ड्राइव के जरिए मुकदमा फाइल किया जा सकता है। दोनों ही स्थितियों में कार्य न हो पाने पर हाईकोर्ट में कुछ चार्ज लेकर स्कैन करने और अपलोड की सुविधा भी वादकारियों और अधिवक्ताओं को मुहैया करायी जायेगी। इस बात की जानकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस दिलीप गुप्ता ने दी है। उन्होंने कहा है कि ई.कोर्ट पेपर लेस कोर्ट की ओर बढ़ता हुआ पहला कदम है। इससे जहां खर्च में कमी आयेगीए वहीं पेपर वर्क कम होने से पर्यावरण को बचाने में भी मदद मिलेगी। हम आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट देश का पहला ऐसा हाईकोर्ट है जहां तेजी से रिकार्ड्स के डिजिटाइजेशन का कार्य चल रहा है।
करोडो केश हुए डिजिटाइज्ड
वर्ष 2016 में शुरु हुए डिजीटाइजेशन के कार्य के तहत अब तक दस करोड़ नौ लाख पेज स्कैन और डिजिटाइज्ड किए जा चुके हैं। जस्टिस दिलीप गुप्ता के मुताबिक भविष्य में सभी कोर्टों को ई कोर्ट के रुप में विकसित किया जायेगा। जस्टिस दिलीप गुप्ता ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते कुछ वर्षों में सूचना तकनीक के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धी हासिल की है। देश के पहले डिजिटाइजेशन सेंटर के अलावा वकीलों को ईमेल और एसएमएस के मुकदमों की जानकारी उपलब्ध कराना ऑनलाइन सर्विस के लिए एंड्रायड एप्लीकेशन और एंड्रायड वेब डायरी लांच की जा चुकी है। पूरे हाईकोर्ट परिसर को वाईण्फाई की सुविधा से लैस कर दिया गया है। यह सभी कार्य हाईकोर्ट को पेपर लेस कोर्ट बनाने की दिशा में किए जा रहे हैं।
वर्ष 2016 में शुरु हुए डिजीटाइजेशन के कार्य के तहत अब तक दस करोड़ नौ लाख पेज स्कैन और डिजिटाइज्ड किए जा चुके हैं। जस्टिस दिलीप गुप्ता के मुताबिक भविष्य में सभी कोर्टों को ई कोर्ट के रुप में विकसित किया जायेगा। जस्टिस दिलीप गुप्ता ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते कुछ वर्षों में सूचना तकनीक के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धी हासिल की है। देश के पहले डिजिटाइजेशन सेंटर के अलावा वकीलों को ईमेल और एसएमएस के मुकदमों की जानकारी उपलब्ध कराना ऑनलाइन सर्विस के लिए एंड्रायड एप्लीकेशन और एंड्रायड वेब डायरी लांच की जा चुकी है। पूरे हाईकोर्ट परिसर को वाईण्फाई की सुविधा से लैस कर दिया गया है। यह सभी कार्य हाईकोर्ट को पेपर लेस कोर्ट बनाने की दिशा में किए जा रहे हैं।
दिया जायेगा सीएनआर केस नंबर रिकार्ड
प्रदेश के 75 जिलों और 130 आउट लाइन कोर्ट को भी सूचना तकनीक के माध्यम से जोड़ा गया है। इनमें लंबित 62 लाख मुकदमों की पूरी जानकारी नेशनल ज्यूडिशियल डेटा क्रेता पर प्राप्त की जा सकती है। उत्तर प्रदेश एक मात्र ऐसा राज्य है जिसकी सभी अदालतों की सूचनाएं इस लिंक पर उपलब्ध हैं। मुकदमों को एक सीएनआर केस नंबर रिकार्ड दिया जा रहा है। जो सुप्रीमकोर्ट तक काम करेगा। इस नंबर के जरिए मुकदमे से संबंधित जानकारियां आसानी से ढूंढी जा सकेंगी।
प्रदेश के 75 जिलों और 130 आउट लाइन कोर्ट को भी सूचना तकनीक के माध्यम से जोड़ा गया है। इनमें लंबित 62 लाख मुकदमों की पूरी जानकारी नेशनल ज्यूडिशियल डेटा क्रेता पर प्राप्त की जा सकती है। उत्तर प्रदेश एक मात्र ऐसा राज्य है जिसकी सभी अदालतों की सूचनाएं इस लिंक पर उपलब्ध हैं। मुकदमों को एक सीएनआर केस नंबर रिकार्ड दिया जा रहा है। जो सुप्रीमकोर्ट तक काम करेगा। इस नंबर के जरिए मुकदमे से संबंधित जानकारियां आसानी से ढूंढी जा सकेंगी।
इनपुट- इलाहाबाद से प्रसून पाण्डेय की रिपोर्ट