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पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हत्या से जुड़े दस्तावेज गायब,नही मिल रही केस डायरी…

locationप्रयागराजPublished: Sep 20, 2018 01:46:25 pm

मौत के पांच दशक बाद भाजपा सरकार करा सकती है मामले की सीबीआइ जांच

इलाहाबाद: भारतीय जनसंघ के सह संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हत्या के पांच दशक बाद केंद्र सरकार इस मामले में सीबीआई जांच करा सकती है। जिस के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने रेलवे पुलिस (जीआरपी) से हत्या से जुड़े दस्तावेज, केस डायरी और एफआईआर सहित तमाम कागजात तलब किए। इसके जवाब में जीआरपी अधिकारीयों ने गृह मंत्रालय को जो जानकारी भेजी है उसके अनुसार उपाध्याय की मौत से जुड़े कागजात थाने से गायब हो चुके हैं।

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के अंबेडकर नगर के नेता राकेश गुप्ता ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मामले की जांच की मांग की थी। इसके बाद मंत्रालय ने 50 साल पहले 1968 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत के मामले में रिपोर्ट तलब की। अम्बेडकर नगर के भाजपा नेता ने 6 नवंबर 1917 को गृह मंत्रालय को दिए ज्ञापन में दीनदयाल उपाध्याय की मौत पर कि राजनीतिक हत्या बताया था और इस मामले की दोबारा जांच की मांग की।

एसपी रेलवे ने आईजी रेलवे को जो रिपोर्ट सौंपी है उसके मुताबिक केस डायरी और एफआईआर कॉपी गायब है। लेकिन जीआरपी के पास मौजूद एक रजिस्टर के अनुसार यह भी जानकारी दी गई है कि इस मामले में उस समय तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। जिनमें से एक आरोपी को गई 4 साल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन सजा चोरी के जुर्म में थी।

जीआरपी के पास इस बात का कोई रिकार्ड नहीं कि घटनास्थल पर पहुंचने वाले सिपाही और पुलिस दरोगा कौन थे? मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत के बाद तत्कालीन सरकार ने सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे, जिसकी जांच शुरू हुई और 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंप दी। वाराणसी न्यायालय में इस मामले की चार्जशीट पेश की गई। 9 जुलाई 1969 को सेशन कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में में दो आरोपियों को बरी किया।

गौरतलब है कि जनसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ द्वारा आयोजित बिहार में प्रदेश कार्यकारिणी में हिस्सा लेने जा रहे थे। सीबीआई ने दो हफ्तों में अपनी जो रिपोर्ट पेश की थी उसके अनुसार पंडित दीनदयाल उपाध्याय दिल्ली से पटना जा रहे थे। उस समय पठानकोट-सियालदह एक्सप्रेस की प्रथम श्रेणी में यात्रा करने का टिकट उनके पास था। यात्रा के दरमियान 11 फरवरी की भोर लगभग तीन बजे मुगलसराय स्टेशन की यार्ड लाइन में उनका शव मिला था।

घटना की जानकारी जीआरपी को दी गई।पंडित दीनदयाल उपाध्याय के शव के पास से उनकी घड़ी और उनकी जेब में मिले 26 रूपये भी जप्त किए गए थे, लेकिन उनका पंचनामा शिनाख्त के अभाव में अज्ञात व्यक्ति ने भर दिया था। जब स्टेशन पर काम करने वाले कर्मचारी ने उनकी पहचान की तो जनसंघ के लोगों को इसकी सूचना दी, जिसके बाद इस मामले में मुकदमा संख्या 67- 1968 में धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। तमाम जांच के बाद धारा 379 भी जोड़ दी गई थी।

अब एक बार फिर भाजपा की सरकार में उपाध्याय के मामले में सीबीआई जांच की मांग के बाद के बाद मामला सुर्ख़ियों में है।रेलवे जीआरपी के अधिकारी के अनुसार जिस तरह से मामले की रिपोर्ट तलब की गई है, यह सारी प्रक्रिया सीबीआई जांच के लिए ही कराई जाती है। माना जा रहा है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत के पांच दशक बाद भाजपा उनकी मौत का राज खोलना चाह रही है।

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