ताजमहल में प्रवेश करने से हुआ विवाद मामले में कहा गया है कि जगद्गुरु परमहंस 26 अप्रैल 2022 को धर्मदंड और भगवा वस्त्र के साथ ताजमहल में प्रवेश करने से रोका गया था। विवाद बढ़ने पर उन्हें एएसआई आरके पटेल की ओर से ताजमहल में प्रवेश करने का निमंत्रण भेजा गया। इसके साथ ही इस निमंत्रण पर वह गए तो उन्हें रोक दिया गया और भगवा वस्त्र व धर्मदंड को बाहर रखने को कहा गया। इसके साथ प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मामले में परमहंस द्वारा बार-बार आग्रह करने पर भी उन्हें प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें हाउस अरेस्ट करके वापस अयोध्या भेज दिया गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के याचिका में कहा गया है कि चार मई 2022 को हिंदू युवा वाहिनी के एक नेता को धर्म दंड और भगवा वस्त्र के साथ प्रवेश की अनुमति दी गई थी। जिसकी खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित हुईं। परमहंस ने इसके बाद सक्षम अधिकारी के सामने धर्मदंड और भगवा वस्त्र के साथ प्रवेश की अनुमति के लिए प्रत्यावेदन दिया था, जिसका निस्तारण नहीं किया गया। याचिका में मंदिर में धर्मदंड और भगवा वस्त्र के साथ प्रवेश न देने और प्रत्यावेदन को निस्तारित न करने को चुनौती दी गई है।
इसी मामले में याची की तरफ से अधिवक्ता अभिषेक तिवारी का कहना है कि ताजमहल प्रशासन का यह कृत्य संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, और 19 का सीधा उल्लंघन है। सिर्फ धार्मिक वस्त्र और उसकी वेशभूषा के आधार पर किसी को कहीं आने जाने से रोका नही जा सकता है। अगर किसी भी तरह से ड्रेस कोड का नियम नहीं है तो यह अपमान ठीक नहीं है।