याची का कहना है कि पिछले 24 साल से आपराधिक मुकदमा विचाराधीन है। याचिका में विचाराधीन मुकदमें को समयबद्ध तरीके से यथाशीघ्र नियत अवधि में तय किये जाने की मांग की गयी है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति वाई.के.श्रीवास्तव की खण्डपीठ ने रवीन्द्र जुगरान की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि मुकदमे की धीमी सुनवाई से आरोपियों का मानसिक उत्पीड़न हो रहा है। सी.बी.आई. की तरफ से अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश ने जनहित याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की किन्तु कोर्ट ने कहा कि मुकदमे की शीघ्र सुनवाई होनी चाहिए। याचिका की अगली सुनवाई चार जनवरी को होगी।
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