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पीएचडी धारकों ने राज्यपाल और यूजीसी से लगायी गुहार

locationप्रयागराजPublished: Apr 19, 2018 01:09:19 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

इविवि और संबद्ध कॉलेजों की भर्ती में मुविवि की पीएचडी मान्य नहीं

Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University

Uttar Pradesh Rajarshi Tandon Open University

इलाहाबाद. उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय की पीएचडी उपाधियों को केन्द्र और राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की शिक्षक भर्ती में मान्यता नहीं दी जा रही है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों ने हजारों शोधार्थियों के भविष्य को संकट में डाल दिया है। जिससे डिग्री धारकों ने राज्यपाल व यूजीसी ने गुहार लगाई है। पीएचडी डिग्री धारकों को नेट की अनिवार्य अर्हता से यह कहते हुए छूट नहीं दी जा रही है कि दूरस्थ माध्यम से दी जाने वाली पीएचडी उपाधि मान्य नहीं है। पीएचडी डिग्री धारकों ने प्रदेश के राज्यपाल एवं यूजीसी से गुहार लगाई है।
उनकी मांग है कि अन्य पीएचडी धारकों की तरह उन्हें भी केन्द्र और राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों की शिक्षक भर्ती में शामिल किया जाए। उनका यह भी कहना है कि मुक्त विश्वविद्यालय ने पीएचडी की डिग्री यूजीसी के नियमों के तहत ही दी है। शोधार्थियों की डिग्रियों को प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुविवि के दीक्षांत समारोह में स्वयं प्रदान किया है। यही नहीं मुविवि ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी और हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई चन्द्रचूड़ के अलावा अन्य कई वैज्ञानिकों को भी मानद उपाधि प्रदान की है। ऐसे में डिग्रियों को मान्यता न देकर यूजीसी और राज्यपाल की अवहेलना की जा रही है।
पीएचडी डिग्री धारकों ने कहा कि इविवि और इससे संबद्ध डिग्री कालेजों की शिक्षक भर्ती में मुविवि की डिग्री को अस्वीकार कर दिया गया। इसकी शिकायत मुविवि के कुलपति से की गयी, लेकिन उनके स्तर से कोई कार्यवाही नहीं की गयी। पीएचडी धारकों ने राज्यपाल और यूजीसी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। पीएचडी डिग्री धारक डा.आलोक त्रिपाठी का कहना है कि यूजीसी के निर्देश पर पहले दूरस्थ शिक्षा के तहत पीएचडी करायी गयी और जब शिक्षक भर्ती के तहत नौकरी देने की बात आई तो यूजीसी का हवाला देकर ऐसे शोधार्थियों को आवेदन करने से वंचित कर दिया। उनकी मांग है कि उन्हें भी शिक्षक भर्ती में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि यूजीसी के निर्देश पर ही वर्ष 2006 में दूरस्थ शिक्षा के तहत पीएचडी की पढ़ाई शुरू करायी गयी थी। ऐसे में हजारों की संख्या में छात्रों ने पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर ली।
By- Prasoon Pandey

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