कोर्ट ने कहा है कि शहरो से पलायन कर रहे भूखे प्यासे मजदूरों के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट स्वयं जनहित याचिका कायम कर सुनवाई कर रही है। ऐसे में इस मामले में राज्य सरकार से स्पष्टीकरण लेने की आवश्यकता नहीं है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने अधिवक्ता ऋतेश श्रीवास्तव व गौरव त्रिपाठी की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि देश के किसी कोने में जीविकोपार्जन के लिए जाने और निवास का संवैधानिक अधिकार है। मजदूरों की मेहनत के बल पर विकास करने वाले राज्यों का वैधानिक दायित्व है कि वे उन्हें भूखे बेहाल होकर राज्य छोडने को विवश न करे।उनके रहने खाने का इंतजाम करे।
याची का कहना है कि मजदूर सडकों पर भूखे प्यासे परिवार सहित अपने राज्य के लिए निकल पडे है।ट्रेनों में उनके खाने का इंतजाम नही है। खाने को लेकर स्टेशनों पर अफरा तफरी मचाने की घटनाएं हुई हैं। याचिका में मजदूरों के मानव गरिमा के साथ भोजन की व्यवस्था करने का समादेश जारी करने की मांग की गयी है। याचिका की सुनवाई 1 जून को होगी।