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इलाहाबाद विश्वविद्यालय की चौखट से तेज़ हो रही सियासी सरगर्मी

locationप्रयागराजPublished: Jun 09, 2018 09:48:48 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

प्रशासन और छात्र संघ के बीच टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय की चौखट से तेज़ हो रही सियासी सरगर्मी

प्रसून पांडेय की रिपोर्ट…

इलाहाबाद. विश्वविद्यालय में हुए बवाल के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्र संघ के बीच टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है ।तीन दिन विश्वविद्यालय में बवाल आगजनी तोड़फोड़ के बाद दर्जनभर छात्र नेताओ को पुलिस ने जेल भेज दिया गया।लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है, कि विश्वविद्यालय के आंदोलन में शामिल छात्रों को जिले से बाहर की जेलों में स्थानांतरित किया गया है साथ ही पहली बार सामूहिक रूप से छात्रनेताओं पर गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हुए है। जिसको लेकर तनाव बरकरार है। जिस पर अब सियासी घमासान भी शुरू हो चुका है
वरिष्ठ पदाधिकारियों के नेतृत्व में बनाई गई टीम

आंदोलन के मुद्दे को जारी रखते हुए आज विश्वविद्यालय के छात्र संघ भवन पर सभी पूर्व अध्यक्षों की बैठ हुई।जिसमें कुलपति के खिलाफ केंद्र सरकार से कार्यवाही की मांग की गई, इस बैठक में समाजवादी छात्र सभा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एनएसयूआई के पदाधिकारी शामिल हुए। जेल में बंद आंदोलित छात्रों को नैनी जेल कौशांबी जौनपुर और प्रतापगढ़ जेल में रखा गया है ।जिनसे मिलने के छात्र संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों के नेतृत्व में अलग.अलग टीमें बनाकर सभी जिलों में छात्रों से मिलने भेजा जा रहा है।
सपा सांसद ने कहा मामला संसद तक जाएगा

वही आगामी लोकसभा चुनाव को देखकर सियासी सरगर्मी विश्वविद्यालय की चौखट से तेज हो गई है । समाजवादी छात्र सभा इस पूरे मामले में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप के बाद फ्रंट पर है ।समाजवादी पार्टी के फूलपुर के सांसद नरेंद्र सिंह पटेल ने प्रशासन से कहा है, कि अगर गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमे जल्द वापस नहीं हुए मामला संसद में गूंजेगा। वही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रही है । विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष ने आज इलाहाबाद में मौजूद भारतीय जनता पार्टी के संगठन मंत्री सुनील बंसल से मिलकर इस मामले में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की।
सबसे ज्यादा नुकशान भाजपा को

बता दें कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के आंदोलनों की हनक इसके पहले भी कई बार सड़क से संसद तक पहुंच चुकी है । जिसका असर सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों को मिलता रहा है । युवाओं को अपने पाले में करने के लिए सभी राजनितिक दल अपनी अपनी गोटिया सेट कर रहे है ।वही कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेताओं को छात्रों के सहयोग के लिए लगा दिया है । जिसमे सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा का होता दिख रहा है । लेकिन आगामी चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे को अपने हाथ से नहीं निकलने देना चाहती है ।
सपा प्रवक्ता ने कहा भाजपा का दोहरा चरित्र

विश्वविद्यालय में आज हुई बैठक में समाजवादी पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह ने कहा कि कुलपति के तानाशाही रवैया का समर्थन भाजपा की सरकार कर रही है । जिसका परिणाम उन्हें आने वाले समय मिलेगा । ऋचा सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार की दोहरी निति सामने है ,देश के गृह मंत्री कहते हैं कि बच्चों से गलतियां हो जाती हैं और पत्थरबाजों के मुकदमे वापस ले रहे है । तो वही आम छात्र जो अपने हक और न्याय की मांग कर रहे है । उन छात्रों पर 307 जैसे गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है ।
कांग्रेस की छात्र इकाई ने किया सरकार हमला

एनएसयूआई के फायर ब्रांड अध्यक्ष रहे संजय तिवारी ने कहा कि सरकार युवाओं को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर कर रही है । एक तानाशाह कुलपति के सामने एमएचआरडी लाचार साबित हो गई है । कहा कि बीते तीन सालों के कार्यकाल में दर्जनों बार छात्रों को इस तरह के आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा है । सरकार अगर छात्रों के हित को ध्यान में रखते नहीं ले सकती है, तो यह सरकार की कमजोरी साबित होगी।युवाओं की बात करने वाले प्रधानमंत्री की सरकार में छात्रो आपराधिक मुकदमे लिखे जा रहे है।
एबीवीपी ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप मांग की

एबीवीपी से विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष रहे विक्रांत सिंह ने कहा कि विद्यार्थी परिषद का एक समूह केंद्र सरकार के एमएचआरडी से कल मिलने वाला है । अज शहर में मौजूद रहे सुनील बंसल से पूर्व अध्यक्ष ने मिलकर मामले की गंभीरता को बताया और हस्तक्षेप की मांग की है । अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस पूरे मामले में छात्र हित के साथ खड़ा है । और वह कुलपति के तानाशाही रवैया का विरोध करता है ।

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