रीवा -प्रयागराज हाईवे पर आ रहे वाहनों में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के प्रवासी चले आ रहे हैं। ट्रकों में बेअंदाज तरीके से भरकर आ रहे लोगों को देखकर उनकी मुसीबतों का अंदाजा साफ तौर पर लगाया जा सकता है। हाईवे पर ट्रक रोककर ट्रक चालक कामगारों को उतारते हैं। जिसके बाद कामगारों के पैदल चलने का सफर शुरु हो जाता है। लॉकडाउन में फंसे कामगारों की मजबूरी का फायदा ट्रक चालक भी जमकर उठा रहे हैं। पुणे से प्रयागराज पहुंचने के लिए कामगारों ने ट्रक चालक को तीन-तीन हजार रुपये प्रति व्यक्ति किराये का भुगतान किया है। इन कामगारों का कहना है कि इनका काम धंधा लॉकडाउन में पूरी तरह से बंद हो गया था। महाराष्ट्र सरकार की ओर से भी उन्हें कोई आर्थिक मदद भी नहीं मिल रही थी। इसके साथ ही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में भी उन्हें जगह नहीं मिली। जिसके बाद ट्रक से ही घर आने का उन्होंने फैसला किया। चार दिनों में मुसीबतें उठाकर पहुंचे कामगारों के चेहरे पर अब थोड़ी राहत नजर आ रही है। कामगारों का कहना है कि अपने घर पहुंचकर उन्हें भरपेट खाना तो मिलेगा। जहां तक काम धंधे की बात है जीवन रहेगा तो कुछ भी काम कर लेगें।
मुंबई में फंसे कामगार भी लॉकडाउन में कामधंधा बंद होने के बाद मुश्किलों का सफर तय करते हुए प्रयागराज पहुंच रहे हैं। कई कामगारों को अभी आगे का भी सफर तय करना है। लेकिन लॉकडाउन में परिवार पर आई मुसीबत को बताते हुए इनकी आंखे भर आती हैं। कहते की मजदूरी और गरीबी से ज्यादा भारी पड़ा यह लॉकडाउन, महाराष्ट्र सरकार की ओर से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही थी। लेकिन रास्ते का सफर भी काफी मुश्किलों भरा रहा। पेट्रोल के लिए कई जगहों पर ज्यादा पैसे चुकाने पड़े। वहीं भदोही के रमेश तिवारी बाइक से ही मुम्बई से प्रयागराज पहुंच गए हैं। उनके मुताबिक महाराष्ट्र में उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही थी। रास्ते में भी पड़े दूसरे राज्यों में उन्हें कोई मदद नहीं मिली। लेकिन यूपी में आने के बाद उन्हें भोजन और पानी भी मिला है।