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दो बालिगों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार मां-बाप भी नहीं जता सकते आपत्ति : हाईकोर्ट

locationप्रयागराजPublished: Sep 17, 2021 07:30:47 pm

– हाईकोर्ट ने कहा कि इस पर लड़की या लड़के के मां-बाप भी आपत्ति नहीं जता सकते।

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प्रयागराज. Allahabad High Court इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साफ-साफ कहाकि, इस पर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है कि दो बालिगों के पास अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। इसमें कोई भी आपत्ति नहीं जाता सकता है। अपने पसंद के जीवनसाथी चुनने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक बार फिर कहाकि, दो वयस्क लोगों को यह आधिकार है। भले ही वे किसी भी धर्म के हों। हाईकोर्ट ने कहा कि इस पर लड़की या लड़के के मां-बाप भी आपत्ति नहीं जता सकते।
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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस दीपक वर्मा की पीठ ने मुस्लिम महिला शिफा हसन और उसके हिंदू साथी की दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। इन याचिकाकर्ताओं की दलील है कि वे एक दूसरे से प्रेम करते हैं और अपनी इच्छा से साथ में रह रहे हैं। हाईकोर्ट ने शिफा हसन और उसके साथी को सुरक्षा प्रदान करते हुए कहा कि इनके संबंधों को लेकर इनके माता पिता तक आपत्ति नहीं कर सकते हैं।
कोई आपत्ति नहीं कर सकता :- पीठ ने कहा, “इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि दो वयस्क व्यक्तियों के पास अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो। चूंकि यह याचिका दो ऐसे लोगों ने दायर की है जो एक दूसरे से प्रेम करने का दावा करते हैं और वयस्क हैं, इसलिए हमारे विचार से कोई भी व्यक्ति उनके संबंधों को लेकर आपत्ति नहीं कर सकता।”
परेशान करने पर सुरक्षा प्रदान करें :- हाईकोर्ट ने पुलिस अफसरों को यह निर्देश दिया कि, इन याचिकाकर्ताओं को उनके माता पिता या किसी अन्य व्यक्तियों से किसी तरह से परेशान न किया जाए। सुनवाई में हाईकोर्ट को बताया गया कि युवती ने मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने के लिए आवेदन भी दाखिल किया है। इस आवेदन पर जिलाधिकारी ने संबंधित थाने से रिपोर्ट मंगाई है।
हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया :- रिपोर्ट के मुताबिक, युवक का पिता इस विवाह को लेकर राजी नहीं है, लेकिन उसकी मां राजी है। उधर, शिफा के मां बाप इस शादी के खिलाफ हैं। जिसव जह से युवक और युवती ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि उनकी जान को खतरा है।
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