दो दिन पहले इन लोगों ने यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या से मुलाकात भी किया था, इसके बाद सोमवार को पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी से भी मुलाकात कर रहा कि जो जमीन उन्हे दी गई है वहां से हटाया न जाये। मुलाकात के दौरान केशरी नाथ त्रिपाठी ने देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को फोन भी लगाया पर संसद सत्र में होने के कारण दोनों नेताओं की बात नहीं हो सकी।
पुरोहितों के नाराजगी की ये है असली वजह दरअसल संगम तट पर हमेशा से ही तीर्थ पुरोहितों का स्थान है। किसी भी मास में आने से यहां पुरोहित मिलते हैं और कर्मकांड कराते हैं। जब 2019 में प्रयाग में कुंभ हुआ तो सुरक्षा की दृष्टि से इन्हे संगम तट से हटा दिया गया। इन्हे परेड ग्राउंड के पास जमीन अलाट किया गया ताकि यहां रहकर आसानी से काम कर सकें। कुंभ मेले के दौरान जो भी जमीन जिसे अलाट की गई थी वो महज तीन महीने के लिए दी गई थी। उसके बाद वो जमीन हर किसी को खाली ही करना था।
अब हुआ ये कि जो जमीन पुरोहितों की दी गई थी। वो परेड ग्राउंड से जुड़ी जमीन थी। जो सेना की जमीन है। अब तीन महीने का समय बीत जाने पर सेना ने अपनी खाली कराने को कहा तो ये पुरोहित नाराज होने लगे। वो यहां अपने छोटे-छोटे गोमटी आदि लगाकर यहां काबिज हो गये थे।
अब इनका कहना है कि किसी भी हाल में वो यहां से जमीन खाली नहीं करेंगे। परेड परिसर से जुड़े लोगों का कहना है कि ये अपने मूल स्थान संगम तट पर जाएं जहां ये सालों से रह रहे हैं। पर पुरोहितों का कहना है कि वो इस जमीन पर ही रहेंगे। इसे लेकर लगातार पुरोहितों का प्रदर्शन चल रहा है। पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने भी मुलाकात के दौरान रक्षामंत्री को फोन लगाकर इनकी नाराजगी पर बात करनी चाही पर बात नहीं हो सकी। अब देखना ये है कि पुरोहितों की नाराजगी का सरकार पर क्या असर होता है।