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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शुरू हुई शिक्षक भर्ती सवालों के घेरे में, विवि के कुलपति पर गंभीर आरोप

locationप्रयागराजPublished: Nov 07, 2017 08:56:11 am

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

रोहित मिश्रा ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए लिखित परीक्षा नहीं होने को लेकर कुलपति से जबाव मांगा।

इलाहाबाद. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अभी शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया पूरी होते ही साक्षात्कार की शुरुआत हुई थी, मगर एक बार फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर रतनलाल हांगलू सहित विश्वविद्यालय की भर्ती प्रक्रिया पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। विश्वविद्यालय में साक्षात्कार की शुरुआत भी ठीक से नहीं हुई और विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर गड़बड़ियों के आरोप लगने शुरू हो गए।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्रा ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने महाविद्यालयों की भर्ती में जुगाड़ और सेटिंग के दम पर कई अभ्यर्थियों का चयन हो रहा है। रोहित ने इस बात का भी दावा किया कि कुलपति के चहेते और उनके इर्द गिर्द रहने वाले लोगों के खास लोगों को नियुक्त किए जाने की तैयारी है जिसकी प्रक्रिया शुरु हो गई। छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रोहित मिश्रा ने असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए सवाल उठाया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए लिखित परीक्षा नहीं होने को लेकर कुलपति से जबाव मांगा।
कोर्ट के आदेश पर शुरू हुई है भर्ती
रोहित ने बताया कि विश्वविद्यालय और महाविद्यालय की भर्ती में धुआंधार पैसे का खेल चल रहा है और आने वाले समय में यह बड़े पैमाने पर होने जा रहा है। रोहित ने एक महाविद्यालयों में हो साक्षात्कारों में चयन होने वाले लोगों के नाम का खुलासा किया और कहा कि आने वाले परिणाम में नामों को आप देख सकते हैं। रोहित के दावे के बाद एक बार फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति पर गंभीर आरोप लगे हैं। शिक्षक भर्ती आरक्षण रोस्टर को लेकर एक बार रोकी गई थी। जिसे हाईकोर्ट ने रोस्टर के तहत कराने के आदेश दिए हैं।
कुलपति पर गम्भीर आरोप
रोहित मिश्रा ने शिक्षक भर्ती के लिए अभ्यर्थी की ओर से मिले 14 बिंदुओं का ज्ञापन दिखाते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए लिखित परीक्षा की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि 14 दिसंबर 2016 को एकेडमिक काउंसिल की बैठक में लिखित परीक्षा कराया जाना तय हुआ था। उसके बाद भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति अपनी मनमानी कर रहे हैं और सीधे साक्षात्कार करके नियुक्ति की तैयारी है। रोहित ने एक मामले को बताते हुए कहा की इसके पहले एक महिला कॉलेज की प्रिंसिपल को नियमों का हवाला देते हुए, रिटायरमेंट के बाद सेवा विस्तार नहीं दिया गया जबकि हाल ही पर दूसरे कॉलेज के प्रिंसिपल को 5 साल का सेवा विस्तार दे दिया गया। इन सब को सवालों को उठाते हुए रोहित ने एक बार फिर कुलपति पर जोरदार हमला किया है और उनसे इन सारे आरोपों का जवाब मांगा है।
इन बिन्दुओं पर उठाए सवाल
विश्वविद्यालय द्वारा असिस्टेंट प्रोफेसर का फार्म भरने के लिए यूजीसी द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता पीजी और नेट है। अगर नहीं है, तो पीएचडी होना चाहिए यूजीसी रेगुलेशन 2010 के तहत या अनिवार्य है। विवि की तुलना में रिसर्च के लिए महाविद्यालय और विश्वविद्यालय पर बहुत ही सीमित सीटें हैं। ऐसे में नेट क्वालिफाइड का पीएचडी में एडमिशन नहीं हो पाता है। केवल नेट क्वालिफाइड को मात्र एपीआई के आधार पर बाहर का रास्ता दिखाना उनका अपमान है। विश्वविद्यालय आईआईटी महाविद्यालय में शोध के संसाधन अलग- अलग है। जिससे जाहिर है कि सबके रिसर्च की क्वालिटी एक जैसी नहीं हो सकती है एपीआई भी प्रभावित होगा।

किसी विश्वविद्यालय के पीजी कोर्स में केवल 70 फ़ीसदी अंग बाकर टॉपर बन जाता है तो दूसरे विश्वविद्यालय में 90 फी़सदी अंक पाकर का पर होता है। ऐसे में अलग.अलग संस्थानों के टॉपर का एपीआई अलग ही होगा। आज के दौर में एकेडेमिक परफॉर्मेंस नकल के भरोसे हो ना कोई छुपी बात नहीं है। टीजीटी पीजीटी के लिए लिखित एग्जाम होता है जबकि सौ साल पुराने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती बिना लिखित परीक्षा के हो रही है।

देश की सर्वोच्च सेवा आईएएस के लिए एग्जाम के कई चरण पर उज्जैन शिक्षकों पर आईएस बनाने की जिम्मेदारी है उनके लिए कोई लिखित परीक्षा टेस्ट क्यों नहीं हो रहा है। जिओ साइंटिस्ट डीआरडीओ और इसरो में वैज्ञानिक के लिए भी लिखित परीक्षा सुनिश्चित है।
इस बात की क्या गारंटी है कि निदेशक साक्षात्कार पर पैसा और पावर नहीं इस्तेमाल हो रहा है।

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