याची के खिलाफ कटघर थाने में बच्ची से दुराचार के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। घटना के दिन 22 मार्च 2017 को ही आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया । याची का कहना था कि पीड़िता के मां-बाप ने भी अभियोजन पक्ष के आरोपों को सही नहीं माना है। अन्य गवाहों ने भी समर्थन नहीं दिया। ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाय।
सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि विचारण न्यायालय के समक्ष चिकित्सीय साक्ष्य उपलब्ध हैं, जो बच्ची के साथ दुराचार की घटना की पुष्टि करते हैं। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट और मौखिक साक्ष्य दोनों में विरोधाभास हो सकता है। इस संबंध में विचारण न्यायालय द्वारा विचार किया जाए। क्योंकि प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों को मेडिकल साक्ष्यों से बल मिलता है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर दंड दिया जा सकता है। ऐसे में जमानत पर छोड़े जाने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
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